हिंदू संस्कृति में तिलक का बहुत महत्व है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता का ही प्रतीक नहीं है बल्कि इसे इस्तेमाल करने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। तिलक के रूप में अष्टगंध (Ashtagandha) का भी इस्तेमाल किया जाता है। कुमकुम, चंदन आदि की तरह अष्टगंध (Ashtagandha) भी बहुत उपयोगी होता है। यह तिलक के अलावा पूजा और अन्य कई कामों में भी इसका उपयोग किया जाता है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं अष्टगंध के क्या क्या फायदे हैं।
1.आपको नाम से ही अंदाजा लग गया होगा कि अष्टगंध 8 तरह की जड़ी या सुगंध से मिलाकर बनाया जाता है। आमतौर पर अष्टगंध में आठ पदार्थ होते हैं- कुमकुम, अगर, कस्तुरी, चन्द्रभाग, त्रिपुरा, गोरोचन, तमाल, जल आदि। ये आठ पदार्थ सभी ग्रहों को शांत करने की क्षमता होती है। अष्टगंध के इस्तेमाल से ग्रहों के दुष्प्रभाव दूर करने में मदद मिलती है।
2.अष्टगंध का घर में इस्तेमाल होते रहने से मानसिक शांति मिलती है और सुकून का एहसास होता है। मन में चल रहा तनाव कम होता है।
3.इतना ही नहीं, अष्टगंध की भीनी सुगंध में माता लक्ष्मी को रिझाने का विलक्षण गुण होता है।
4.अष्टगंध का इस्तेमाल घर के वास्तुदोष को दूर करने में सहायक होता है।
5.तिलक के रूप में अष्टगंध का उपयोग करने से वशीकरण होता है। यह ग्रह दोष शांत करने में लाभदायक है। अष्टगंध का तिलक कनिष्ठा अंगुली से लगाएं।
6.कर्मकांड एवं यंत्र लेखन में अष्टगंध का प्रयोग होता है। अष्टगंध दो प्रकार का होता है- पहला वैष्णव और दूसरा शैव। यह प्रकार इसके मिश्रण के अनुसार होता है।
- खासतौर पर मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए भस्म और अष्टगंध का तिलक विशेष फलदायी होता है।