जयपुर। अपनी ही गुरुकुल की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में जिंदगी की आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहे आसाराम (Asaram Bapu) को आखिर जमानत मिल ही गई। यौन उत्पीड़न के आरोप में आसाराम को साल 2013 में अरेस्ट किया गया था। तब से लेकर अब तक आसाराम ने अविनाश न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट ना जाने कितनी जमानत याचिका पेश की, लेकिन कहीं भी राहत नहीं मिली। आखिर आसाराम (Asaram Bapu) की जमानत अर्जी को हाई कोर्ट जस्टिस कुलदीप माथुर की कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
हालांकि जिस मामले में जमानत स्वीकार की गई है वह यौन उत्पीड़न का नही बल्कि आसाराम (Asaram Bapu) से जुड़ा कोई दूसरा मामला था। जमानत लेने और जेल की सलाखों से बाहर आने के लिए आसाराम ने इन 10 सालों में न जाने कितने प्रयास किए, लेकिन हर बार आसाराम को असफलता हाथ लगी, निराशा हाथ मिली और आसाराम की आशाओं पर हर कोर्ट के आदेश में पानी फेरा।
हाईकोर्ट से मिली आंशिक राहत
आसाराम (Asaram Bapu) की ओर से अधिवक्ता नीलकमल बोहरा व गोकुलेश बोहरा ने राजस्थान उच्च न्यायालय में एक विविध अपराधिक 482 पेश कर उनके खिलाफ रातानाडा थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की। जिस पर तीन दिन पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस कुलदीप माथुर की कोर्ट में सुनवाई हुई। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था। आज कोर्ट में आसाराम के द्वारा पेश याचिका पर सुरक्षित फैसला सुनाते हुए आसाराम को जमानत देने का निर्णय लिया।
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आसाराम को इस मामले में जमानत मिलने के बाद हालांकि आसाराम जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि वे इस मामले के अतिरिक्त यौन उत्पीड़न के आरोप में जिंदगी की आखिरी सांस तक जेल की सजा भुगत रहे हैं। लेकिन उक्त जमानत मिलने के बाद आसाराम के वकीलों द्वारा कोर्ट में यह तथ्य पेश किया जा सकता है कि आसाराम को एक अन्य मामले में जमानत मिल चुकी है ऐसे में झूठे दस्तावेज पेश करने का मामला आसाराम की आगामी जमानत में अड़चन पैदा नहीं करेगा।