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अशोक गहलोत बोले – न कांग्रेस और न ही बीजेपी चाहती है कि विधानसभा भंग हो

नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस में चल रहे संकट और हाईकोर्ट में सचिन पायलट की याचिका पर सुनवाई के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस वक्त राज्य में कोई नहीं चाहता है कि विधानसभा भंग हो और वे चुनाव में जाएं। मंगलवार को बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक के दौरान गहलात ने कहा कि “न ही कांग्रेस और न बीजेपी चाहती है कि विधानसभा भंग हो और चुनाव कराया जाए।”

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरा देश यह देख रहा है कि किस तरह से आप लड़ रहे हो। आपके प्रति आदर कई गुणा बढ़ गया है। यह कोई साधारण बात नहीं है। आप सभी के पास फोन है, किसी पर किसी का कोई दबाव नहीं है। सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 कांग्रेस विधायकों के बागी होने के बाद मंगलवार को तीसरी बार विधायक दल की बैठक बुलाई गई। जयपुर के फेयरमेंट होटल में इस बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस नेता अजय माकन, राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा मौजूद रहे।

गौरतलब है कि पायलट को 14 जुलाई को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और राज्य पीसीसी अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार को अस्थिर करने के प्रयास के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि वह विधायकों की खरीद फरोख्त कर रहे हैं।

विधानसभा स्पीकर द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के नोटिस पर राजस्थान हाईकोर्ट में सचिन पायलट के एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि नियमों के अनुसार, जवाब दाखिल करने के लिए कम समय दिया गया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि विधानसभा स्पीकर ने सचिन पायलट और अन्य विधायकों को शिकायत के दिन ही नोटिस जारी कर दिया था। नियमों के अनुसार, जवाब देने के लिए कम समय दिया गया है। नोटिस जारी करने के लिए कोई वजह दर्ज नहीं की गई। पायलट और उनके कैंप के 18 विधायकों ने अयोग्य ठहराए जाने के नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस याचिका में राजस्थान विधानसभा स्पीकर द्वारा उन्हें 14 जुलाई को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को रद्द करने की मांग की।

विशेष रूप से राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत पायलट और 18 विधायकों को नोटिस भेजा गया था। यह नोटिस चीफ व्हीप के अयोग्यता को लेकर पत्र के बाद भेजा गया जिसको दलबदल विरोधी कानून के रूप में जाना जाता है।

नोटिस के अनुसार, अगर ये विधायक नोटिस का जवाब देने में विफल रहते हैं तो स्पीकर पूर्व पक्षपात कर सकते हैं और उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित कर सकते हैं। कांग्रेस की शिकायत और स्पीकर का नोटिस पायलट और अन्य विधायकों के समर्थन के बाद कांग्रेस विधायक दल (CLP) की बैठक में 13 और 14 जुलाई को शामिल नहीं होने पर आया।

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