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30.52 करोड़ की लागत से एशिया का पहला डाॅल्फिन शोध संस्थान पटना में : सुशील

सुशील कुमार मोदी

सुशील कुमार मोदी

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पटना में 30.52 करोड़ रुपये की लागत से एशिया का पहला डॉल्फिन शोध संस्थान की स्थापना की जा रही है।

श्री मोदी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बिहार में अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी 543 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के उद्घाटन एवं शिलान्यास के लिए आयोजित ऑनलाइन समारोह में ‘प्रोजेक्ट डाॅल्फिन’ की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि पटना विश्वविद्यालय के एक एकड़ परिसर में 30.52 करोड़ रुपये की लागत से एशिया का पहला डॉल्फिन शोध संस्थान की स्थापना की जा रही है।

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उप मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 के सर्वेक्षण के अनुसार पूरे देश में 3031 डाॅल्फिन में से करीब आधी संख्या 1455 बिहार में पाई गई हैं। उन्होंने कहा कि सुल्तानगंज-कहलगांव के 60 किलोमीटर क्षेत्र को ‘विक्रमशिला गांगेय डाॅल्फिन सेन्चुरी’ घोषित किया गया है।

श्री मोदी ने कहा कि गंगा किनारे के 57 ऐसे सर्वाधिक प्रदूषण पैदा करने वाले उद्योगों की पहचान की गई हैं, जहां जीरो लिक्विड डिस्चार्ज और एक-एक इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर औद्योगिक कचरे के बहाव को रोका गया है, जिसके परिणामस्वरूप गंगा बिहार में औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त है। उन्होंने कहा कि 34 स्थलों से संग्रहित गंगा जल की जांच में उसे जलीय जीवन के अनुरूप पाया गया है लेकिन मल-जल एवं सीवेज के पानी के कारण गंगा जल पीने और स्नान करने योग्य नहीं है।

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उप मुख्यमंत्री ने कहा कि 155.88 करोड़ रुपये की लागत से गंगा किनारे के 12 जिले, जिनमें बक्सर, भोजपुर, वैशाली, छपरा और पटना में 103 कलस्टर में जैविक खेती की जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 के पहले के 15 वर्षों की 1114.62 करोड़ रुपये की तुलना में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के 15 साल में नगर विकास का खर्च 34 गुना बढ़कर 34217.49 करोड़ रुपये हो गया है।

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