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म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले कर लें टैक्स का आकलन

mutual fund

म्यूचु्अल फंड

नई दिल्ली| हर निवेशक अपनी कमाई पर अधिक से अधिक रिटर्न हासिल करना चाहता है। इसमें म्यूचुअल फंड एक ऐसा विकल्प है जिसमें सावधि जमा (एफडी) और अन्य तय निवेश विकल्पों पर ब्याज की तुलना में ज्यादा रिटर्न की संभावना रहती है। साथ ही सीधे शेयरों में निवेश के मुकबाले म्यूचु्अल फंड में जोखिम भी कम होता है।

लेकिन म्यूचुअल फंड की कमाई भी टैक्स के दायरे में आती है। इसमें अवधि और फंड के प्रकार के हिसाब से टैक्स लगता है। म्यूचुअल फंड में इक्विटी और डेट के लिए टैक्स देनदारी अलग-अलग होती है। ऐसे में निवेश से पहले म्यूचुअल फंड में टैक्स का आकलन करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

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किसी म्यूचु्अल फंड की राशि का शेयर बाजार में सूचीबद्ध घरेलू कंपनी में 65 फीसदी या उससे अधिक निवेश है तो ऐसी स्कीम इक्विटी फंड की श्रेणी में आती है। इक्विटी फंड में 12 माह से कम समय में निवेश पर हुए मुनाफा पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। इसमें 12 माह के बाद निवेश निकालते हैं उससे हुआ मुनाफा लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) माना जाता है।

इक्विटी फंड के अलावा अन्य सभी स्कीम डेट फंड की श्रेणी में आती हैं। इनमें डेट, लिक्विड, शॉर्ट टर्म डेट, इनकम फंड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान आते हैं। गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड सेविंग्स फंड, इंटरनेशनल फंड भी इसमें शामिल होते हैं। इस श्रेणी में निवेश 36 महीने पुराना तो एलटीसीजी लगता है। वहीं 36 महीने से पहले बेचने से हुए लाभ पर छोटी अवधि की पूंजीगत लाभ कर यानी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एसटीसीजी) लगता है।

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