वॉशिंगटन: एक ऐस्टरॉइड धरती के बेहद करीब से गुजर गया और स्पेस एजेंसियों को पता भी नहीं चला। यह ऐस्टरॉइड धरती से सिर्फ 300 मील से भी कम दूरी से गुजर गया। 2020VT4 नाम का ऐस्टरॉइड 13 नवंबर को धरती के 250 मील यानी 400 किमी दूर से गुजर गया और ऐस्ट्रोनॉमर्स को पता नहीं चला। Asteroid Terrestrial-impact Last Alert System (ATLAS) को इसके बारे में तभी पता चला जब यह धरती से बाहर निकल गया था।
इतनी करीब से निकला ऐस्टरॉइड
दरअसल, यह ऐसी जगह से आया था जिसे ‘Blind Spot’ कहते हैं यानी यह ऐस्टरॉइड सूरज की दिशा से आया था। ऐस्ट्रोनॉमर्स का कहना है कि यह ऐस्टरॉइड धरती से इतना करीब था कि धरती के गुरुत्वाकर्षण ने इसकी कक्षा को बदल दिया। ऐस्ट्रोनॉमर्स टोनी डन ने बताया, ‘हाल की में खोजा गया A10sHcN ऐस्टरॉइड धरती के करीब से दक्षिण प्रशांत महासागर के ऊपर से गुजरा।’ डन का कहना है कि अभी यह ऐस्टरॉइड अभी और भी कई बार धरती के करीब से गुजरेगा। धरती के लिए सबसे बड़ी आपदा होगा Asteroid 29075 1950 DA, लाएगा 400 फीट ऊंची लहरों की सुनामी
इसके बाद वैज्ञानिक इसको स्टडी करने में लग गए कि अगर ऐसा होता है तो इस घटना का क्या असर होगा। अभी तक के अनुमान के मुताबिक यह Asteroid 16 मार्च, 2880 में धरती के इतने करीब आएगा कि टक्कर की संभावना पैदा होगी। हालांकि, इसकी संभावना बेहद कम है लेकिन इतिहास में इतने विशाल Asteroid की टक्कर धरती से हुई है जिसके भयावह नतीजे भी हुए हैं। इसलिए वैज्ञानिक इसे स्टडी कर रहे हैं। वहीं, Asteroids के रास्ते पर कई कारणों से फर्क भी पड़ सकता है। सूरज की गर्मी से इनके जलने पर निकलने वाली ऊर्जा एक थ्रस्ट की तरह काम करती है जो इनके रास्ते को बदल सकती है। ऑर्बिटल मकैनिक्स के सिद्धांतों की मदद से वैज्ञानिकों के लिए यह पता लगाना मुमकिन हो जाता है कि Asteroid कब पृथ्वी के पास से गुजरेगा। (Photo: NASA)
अगर यह Asteroid वाकई में धरती से टकराता है तो हो सकता है कि यह किसी महासागर में आ गिरे क्योंकि पृथ्वी का बड़ा हिस्सा पानी ही है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैंटा क्रूज के वैज्ञानिकों ने एक Computer Simulation के जरिए इस टक्कर का मॉडल तैयार किया है। उनके मुताबिक अगर यह Asteroid अटलांटिक महासागर में गिरा तो 400 फीट ऊंची सुनामी की लहरें पैदा हो सकती हैं। संस्थान के रिसर्चर स्टीवन वॉर्ड ने इस बारे में बताया था कि डायनोसॉर्स के निशान को धरती से खत्म करने वाले Asteroid की टक्कर के बाद से 1950 DA जैसे Asteroids कम से कम 600 बार धरती पर आ चुके हैं। (Photo: UCSC)
इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने सबसे पहले यह पता लगाया कि यह ऐस्टरॉइड धरती के किस हिस्से के करीब होगा। अभी तक के कैलकुलेशन के मुताबिक यह अमेरिकी तट से करीब 360 मील दूर अटलांटिक महासागर में होगा। डॉ वॉर्ड बताते हैं कि करीब 60 हजार मेगाटन का Asteroid टक्कर के बाद जल जाएगा और इसका इंपैक्ट इतना भयानक होगा कि 11 मील की चौड़ाई में महासागर के तले तक गड्ढा बन जाएगा। इस गड्ढे में जैसे जैसे पानी भरेगा, उससे बनने वाले रिंग्स हर दिशा में लहरें पैदा करेंगे। पहले ये लहरें छोटी छोटी होंगी और फिर 3-4 मिनट के अंतराल पर ये बेहद विशाल होती जाएंगी। (Photo: UCSC)
यहां तक कि टक्कर के दो घंटे बाद ये Cape Cod से Cape Hatteras तक 400 फीट ऊंची होकर और चार घंटे बाद पूरे पूर्वी तट पर 200 फीट ऊंची होकर पहुंचेंगी। आठ घंटे बाद ये यूरोप पहुंच जाएंगी और इनकी ऊंचाई तब 30-40 फीट होगी। NASA का अनुमान है कि साल 3000 तक आने वाली किसी भी आपदा के मुकाबले 1950DA से धरती को 50 प्रतिशत ज्यादा खतरा है। (Photo: UCSC)
साल 2002 में NASA के वैज्ञानिकों ने पाया था कि इस Asteroid के धरती से टकराने की 0.33 प्रतिशत संभावना है। हालांकि, समय के साथ यह खतरा कम होता पाया गया है और 2015 में अपेडट किए गए आकलन के मुताबिक इसके आने की संभावना 0.012% ही है। वहीं, एजेंसी का कहना है कि अगले साल 5 फरवरी को यह Asteroid धरती के करीब आएगा और तब पता चलेगा कि भविष्य में जब इसकी धरती से दूरी और कम हो जाएगी तो इससे टक्कर की कितनी संभावना होगी। (Photo: UCSC)
धरती को नहीं है कोई खतरा
इसका आकार सिर्फ 5 से 10 मीटर के बीच है। इसलिए इससे धरती को कोई खतरा नहीं है। अगर यह धरती के वायुमंडल में दाखिल भी होता है तो भी यह फौरन जलकर टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा और धरती पर गिरने का खतरा नहीं होगा। इससे पहले अगस्त में कार के आकार का ऐस्टरॉइड 2020 QG धरती से सिर्फ 2000 मील दूर से गुजरा था।
NASA रखता है नजर
अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।