लखनऊ। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की आज यानी कि 25 दिसंबर को जयंती है। अटल बिहारी बाजपेयी भले ही हमारे बीच नहीं है। लेकिन लखनऊ वासियों के स्मृति में अटल है बाजपेई।
बाजपेयी को भारतीय राजनीति का ऐसा नाम जो सरल और उदार राजनीति के लिए जाना जाता था । अटल एक ऐसे नेता थे। जिनकी प्रशंसा पक्ष से लेकर विपक्ष तक के लोग किया करते थे। अटल ही वह शख्स थे जिन्होंने राजनीति में आपसी वैमनस्यता को दूर रखने की सीख दी।
अटल बिहारी बाजपेयी को उनकी बात और तथा राजनीति के लिए हमेशा याद किया जाएगा। भारत के 11 प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने सड़क से लेकर संसद तक की राजनीति में ऐसी छाप छोड़ी है। जहां तक पहुंचना हर किसी के लिए संभव नहीं जान पड़ता है। इस महान शख्सियत का उत्तर प्रदेश से गहरा नाता रहा है, विशेषकर लखनऊ से।
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लखनऊ की बात करें तो अटल जी ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत एक प्रकार से यही से की। बताया जा रहा है कि साल 1952 में पहली बार लोकसभा का चुनाव अटल जी ने लखनऊ से ही लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली थी।
अटल जी ने पहली जीत साल 1957 में हासिल की थी। वह लोकसभा का चुनाव बलरामपुर से जीते थे। बलरामपुर तब गोंडा जिले में आता था। जब अटल बिहारी बाजपेई ने पहली बार लोकसभा चुनाव में सफलता पाई । तब वह 3 सीटों पर एक साथ लड़े थे। जिसमें लखनऊ बलरामपुर और मथुरा सीटें शामिल थी। लेकिन लखनऊ तथा मथुरा से वह हार गए थे। इसके बाद वह ग्वालियर से चुनाव लड़े और सांसद बने। लेकिन साल 1991 में अटल बिहारी बाजपेयी लखनऊ पहुंचे और यहां पर बड़ी जीत दर्ज की, फिर क्या था अटल जी लखनऊ के हो गए।
साल 1996 में अटल बिहारी बाजपेयी ने गांधीनगर तथा लखनऊ से एक साथ चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की। लेकिन उन्होंने अपना कार्य स्थल लखनऊ चुना और गांधीनगर से इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है कि अटल बिहारी बाजपेयी साल 1991 से लेकर साल 2009 तक लगातार लखनऊ के सांसद रहे। यदि यह कहा जाए की अटल जी की शख्सियत और लखनऊ की तहजीब एक जैसी है,तो गलत ना होगा।