जाली नोट के जरिये रकम चार गुना करने का लालच देकर फंसाने के बाद लूट करने वाले गिरोह के एक और सदस्य माइकल सिंह यादव उर्फ मोंटी को एसटीएफ ने शनिवार को देर शाम गिरफ्तार कर लिया। वह वाराणसी का रहने वाला है। उसके खाते में करीब 30 लाख रुपये होने की पुष्टि हुई है। यह खाता पीएनबी, एक्सिस और एचडीएफसी बैंक की शाखाओं में खोला गया है। पुलिस ने इन बैंकों के अधिकारियों से पत्राचार कर खाते को फ्रीज करने की कवायद शुरू कर दी है।
एटीएस की टीम वाराणसी के लहरतारा बौलिया, मडुवाडीह इलाके से माइकल सिंह यादव उर्फ मोंटी को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए रविवार को गोमतीनगर थाने लेकर पहुंचे। पूछताछ में उसने बताया कि उसका गिरोह उच्च क्वालिटी की नकली भारतीय मुद्रा उपलब्ध कराने का लालच देकर लोगों से पैसे ऐठता है। दावा है कि इन नकली नोट को बैंककर्मी भी नहीं पकड़ सकते हैं। उनके लालच में आने के बाद जो भी रकम लेकर पहुंचता था। उसे गिरोह के सदस्य झांसा देकर रकम लेने की कोशिश करते थे। लेकिन सफल न होने पर लूट कर लेते थे।
इस गिरोह ने बुधवार को दिल्ली एनसीआर में प्रयागराज के सोरांव निवासी कारोबारी राजकुमार पटेल से 90 लाख रुपये की लूट की थी। एटीएस ने शुक्रवार को दो आरोपियों प्रतापगढ़ के मांधाता घाटमपुर के मोहिउद्दीनपुर निवासी अभिषेक प्रताप सिंह और मुंबई के नालासुपारा पतंगेचाल हवाईपाड़ा निवासी सौरभ फूलचंद को गिरफ्तार किया था। उनके पास से पुलिस ने 44.77 लाख रुपये बरामद किए थे। यह गिरोह लूटपाट के दौरान अंडरवर्ल्ड की धमकी भी देता था जिससे पीड़ित पुलिस के पास नहीं जाते थे। एटीएस का दावा है कि इस गिरोह द्वारा एनसीआर में लूट किए जाने का खुलासा होने के बाद कई पीड़ितों ने पुलिस से संपर्क किया है।
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एटीएस के मुताबिक, माइकल यादव उर्फ मोंटी इस गिरोह के कोर कमेटी का सदस्य है। वह सीधे मास्टरमाइंड व गिरोह के सरगना सचिन से जुड़ा है। दोनों मिलकर ही लूटपाट की योजना तैयार करते हैं। वह शनिवार को वाराणसी से मुंबई भागने की फिराक में था। उसने दो साल के अंदर करीब 15 से 20 वारदात को अंजाम दिया। सभी मामलों में मोटी रकम लूटी गई, लेकिन कोई पीड़ित सामने नहीं आया।
एटीएस ने नोएडा में तीन दिन पहले हुए 90 लाख रुपये के लूट का खुलासा किया था तो उसे भी उम्मीद नहीं थी कि उन्होंने एक ऐसे गिरोह के सदस्यों को दबोच लिया है जो जाली नोट उपलब्ध कराने के नाम पर लूट करते हैं। गिरोह का सरगना मुंबई का सूद कारोबारी सचिन है। सौदे के लिए गिरोह बड़े होटलों का प्रयोग करता है और ज्यादातर बैठकेंमुंबई और दिल्ली में होती हैं। इनके निशाने पर देश के बड़े कारोबारी रहते हैं। एटीएस के अधिकारियों ने बताया कि यह गिरोह एक लाख के बदले चार लाख रुपये तक के जाली नोट उपलब्ध कराता था। माइकल उर्फ मोंटी ने बताया कि सौदे से पहले टोकन मनी के रूप में 3 से 10 लाख रुपये लिए जाते थे।
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एटीएस के अधिकारियों के मुताबिक, माइकल ने पूछताछ में बताया कि उसने यह काला कारोबार 2019 से शुरू किया। वह मार्च 2019 में अपनी बहन रीना के घर गोयल प्लाजा थाणे गया था। वहां उसकी मुलाकात पोनेक्स जिम में सचिन से हुई। सचिन सूद पर रकम देने का काम करता था। सचिन ने माइकल से कहा कि कुछ लोगों को ब्याज पर रुपये दे दो जिससे काफी फायदा होगा। उसने कहा था कि वह नोटों को चार गुना करने का भी काम करता है। सचिन ने कानपुर के अविनेंद्र मिश्रा और फरवरी 2020 में हरिओम उर्फ साइंटिस्ट निवासी जौनपुर से मुलाकात कराई।
पूछताछ में माइकल ने पुलिस को बताया कि उसने जुलाई 2020 में पहली मीटिंग वाराणसी के फूलपुर पिडंरा निवासी प्रताप सोनकर से कराई थी। प्रताप वाराणसी के बड़े फल कारोबारी हैं। प्रताप से एक करोड़ रुपये लेकर चार करोड़ के जाली नोट देने का सौदा हुआ। प्रताप से तीन लाख की टोकन मनी ली गई। हालांकि यह सौदा नहीं हो सका। बाद में प्रताप सोनकर ने रुपये वापस मांगे। करीब दो महीने बाद उसकी रकम वापस कर दी। इसी साल गिरोह के सदस्य अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ लकी निवासी सोरांव प्रयागराज से मुलाकात हुई।
सचिन, हरिओम उर्फ साइनटिस्ट, अविनेंद्र मिश्रा व अभिषेक उर्फ लकी ने मिलकर दिसंबर 2020 में प्रयागराज के कृषि विभाग में प्रोफेसर से रुपये चार गुना करने की बातचीत की गई। यह बैठक वाराणसी के होटल रमाडा में हुई थी। मीटिंग में टोकन मनी के नाम पर प्रोफेसर ने पांच लाख रुपये दिये। जिसमें माईकल को 30 हजार रुपये मिला था। गिरोह ने प्रोफेसर को 80 लाख रुपये लेकर लखनऊ बुलाया। इस गिरोह ने चार गुना रकम देने की बात कही थी। प्रोफेसर जब 80 लाख रुपये लेकर पहुंचे तो उनको झांसा देकर रुपये हड़प लिये। इस मामले में माईकल को 14 लाख रुपये हिस्सा मिला था।
वहीं प्रयागराज के ईंट भट्ठे के मालिक मनोज सिंह से फरवरी में डील की गई। इस काम के लिए मनोज सिंह के साथ मुंबई के सात सितारा होटल जेडब्ल्यू मैरियेट में मीटिंग की गई। जहां मीटिंग पूरी होने के बाद मनोज सिंह से पांच लाख रुपये रखवाए गये। मनोज से एक करोड़ रुपये के बदले में चार करोड़ रुपये जाली नोट देने का झांसा दिया था। लेकिन बाद में मनोज सिंह सिर्फ 35.40 लाख रुपये से अधिक रुपये का इंतजाम नहीं कर सके। इस कारण डील नहीं हुई। टोकन मनी में 40 हजार माईकल ने रखे थे।