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गणेश चतुर्थी पर बन रहे ये शुभ संयोग, जानें मूर्ती स्थापना के नियम

Ganesh

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हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्यौहार मनाया जाता हैं जो कि गणपति जी को समर्पित होता है और इस दिन घरों में उनकी स्थापना की जाती हैं। 10 दिनों तक लगातार पूजा करने के बाद अनन्त चतुर्दशी के दिनन गणपति जी का विसर्जन कर दिया जाता हैं। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व 31 अगस्त से प्रारंभ हो रहा है। इन दिनों भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण हो जाती हैं। इस बार गणेश चतुर्थी के दिन बेहद शुभ संयोग बन रहे हैं जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, ये शुभ फलदायी साबित होंगे। इसी के साथ मूर्ती स्थापना से जुड़ी जरूरी जानकारी भी जानें।

बुधवार के दिन पड़ रही गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)

गणेश पुराण में बताया गया है कि गणेशजी का जन्म भाद्र शुक्ल चतुर्थी के दिन दोपहर के समय हुआ था। जिस दिन गणेशजी का जन्म हुआ था उस दिन बुधवार था। अबकी बार भी कुछ ऐसा संयोग बना है कि भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि दोपहर के समय बुधवार को रहेगी। ऐसा संयोग इसलिए बना है क्योंकि चतुर्थी तिथि मंगलवार 30 अगस्त को दिन में 3 बजकर 34 मिनट से लग जा रही है और अगले दिन यानी 31 अगस्त को दिन में 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। 31 अगस्त को उदया कालीन चतुर्थी तिथि और मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी तिथि होने से इसी दिन विनायक चतुर्थी का व्रत पूजन सर्वमान्य होगा। धार्मिक दृष्टि से यह बहुत ही शुभ संयोग है। इस शुभ संयोग में गणेशजी की पूजा अर्चना करना भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी होगा।

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर रवियोग का शुभ संयोग

गणेश चतुर्थी 31 अगस्त के दिन अबकी बार रवियोग भी उपस्थित रहेगा जैसा कि 10 साल पहले भी था। इसे योग को आप सोने पर सुहागा कह सकते हैं क्योंकि गणेशजी का आगमन तो यूं भी सभी विघ्नों को दूर करता है उस पर रवियोग का भी होना और भी शुभ है क्योंकि रवियोग को भी अशुभ योगों के प्रभाव को नष्ट करने वाला माना गया है।

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर ग्रह गोचर का संयोग

अबकी बार गणेश चतुर्थी के दिन दोपहर तक चंद्रमा बुध की राशि कन्या में होंगे। शुक्र इसी दिन राशि बदलकर सिंह में आएंगे और सूर्य के साथ मिलेंगे। यानी इसी दिन शुक्र संक्रांति होगी। गुरु अपनी राशि मीन में होंगे। शनि अपनी राशि मकर में। सूर्य अपनी राशि सिंह में। बुध अपनी राशि कन्या में होंगे। यानी इस दिन चार ग्रह अपनी राशि में होंगे। ग्रह नक्षत्रों का यह संयोग भी भक्तों के लिए शुभ फलदायी रहेगा।

इस दिशा में करें गणेशजी की मूर्ति की स्थापना

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, पश्चिम, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करना अच्छा माना जाता है। याद रखें, घर में रखी सभी गणेशजी की तस्वीरें उत्तर दिशा में होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिवजी, जो गणेशजी के पिता हैं, इस दिशा में वास करते हैं। अगर आप घर में भगवान गणेश की प्रतिमा लगा रहे हैं, तो उसका मुख घर के मुख्य द्वार की ओर होना चाहिए। गणेश जी की मूर्ति को दक्षिण दिशा में न रखें।

ऐसी जगहों पर न रखें गणेशजी की मूर्ति

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार गणेश मूर्ति को बेडरूम, गैरेज या लॉन्ड्री एरिया में नहीं रखना चाहिए। इसे सीढ़ियों के नीचे या बाथरूम के पास भी नहीं रखना चाहिए। चूंकि गैरेज या कार पार्किंग क्षेत्र को खाली क्षेत्र माना जाता है, इसलिए घर के इस हिस्से में किसी देवता को रखना अशुभ होता है। साथ ही, सीढ़ियों के नीचे बहुत सारी नकारात्मक ऊर्जाएं होती हैं जो किसी भी वस्तु को रखने के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं।

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