अयोध्या। राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत शुक्रवार को हो गई। आज मंदिर की बुनियाद के लिए गर्भगृह पर पहले पिलर की खुदाई का काम शुरू किया गया है। इससे पहले मशीनों की पूजा की गई।
आज शुरू हुए निर्माण को टेस्ट पाइलिंग कहा जा रहा है। 24 घंटे में यह पिलर तैयार हो जाएगा। इसके बाद विशेषज्ञ इसे मजबूती की कसौटी पर कसेंगे। इसमें एक महीने का समय लगने की संभावना जताई गई है। सब कुछ ठीक पाए जाने के बाद 15 अक्टूबर से 1,199 अन्य पिलर का निर्माण शुरू होगा। टेस्ट पिलर 100 फीट गहरा और एक मीटर व्यास का बनाया जा रहा है। मंदिर 1200 पिलर पर बनेगा। खुदाई करने के लिए दो रिंग मशीनें काम में लगी हैं, जबकि अभी इतनी ही मशीनें और आएंगी।
संजय सिंह बोले- भ्रष्टाचार में योगी सरकार ने कांग्रेस को पछाड़ा
नींव को इतना मजबूत बनाने की कोशिश हो रही है कि 1500 साल तक स्थायी रहे। इस काम की निगरानी आईआईटी चेन्नई के अलावा देश की अन्य कुछ चुनिंदा संस्थानों के विशेषज्ञ कर रहे हैं। करीब 15 फीट ऊंचे प्लेटफार्म पर 161 फीट ऊंचा मंदिर बनेगा।
दो सितंबर को अयोध्या विकास प्राधिकरण ने राम मंदिर का नक्शा पास किया है। ट्रस्ट ने विकास व अन्य शुल्क की 2 करोड़ 11 लाख रुपए टैक्स व लेबर सेस टैक्स के 15 लाख रुपए जमा किए थे। वहीं, 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया था। उसके एक दिन पहले राम मंदिर के मॉडल की तस्वीरें सामने आई थीं। 161 फीट ऊंचे राम मंदिर में पांच मंडप और एक मुख्य शिखर है।
दावा है कि अयोध्या के हर कोने से यह मंदिर दिखेगा। साल 1989 में राम मंदिर का मॉडल बनाया गया था। इसमें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बदलाव किया है। यह मंदिर साढ़े तीन साल में बनकर तैयार होगा। मंदिर के पास 70 एकड़ जमीन है। लेकिन, मंदिर 3 एकड़ में ही बनेगा। बाकी 65 एकड़ की जमीन पर मंदिर परिसर का विस्तार किया जाएगा। मंदिर में एक दिन में एक लाख राम भक्त पहुंच सकेंगे। मंदिर के मॉडल में बदलाव किया गया है।
विदेश मंत्री जयशंकर की ड्रैगन को दो टूक, लद्दाख से सेना की वापसी सुनिश्चित करे चीन
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का स्पष्ट कहना है कि राममंदिर परिसर की सुरक्षा सरकार के जिम्मे होगी। यह विश्वस्तरीय केंद्र बनने जा रहा है इसलिए इसकी सुरक्षा भी विश्वस्तरीय होनी चाहिए। चूंकि यह विश्वस्तरीय प्रोजेक्ट है, इसलिए इसकी संवेदनशीलता का देखते हुए किसी प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी को जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा सकती है। राममंदिर की सुरक्षा सरकार अपने स्तर से देखेगी, ट्रस्ट का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।