अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya)एक पवित्र हिंदू और जैन पर्व है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसे आखा तीज भी कहा जाता है। यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है और ऐसा विश्वास है कि इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कार्य “अक्षय” यानी नष्ट न होने वाला फल देता है। ‘अक्षय’ का अर्थ है ‘कभी कम न होने वाला’ और ‘तृतीया’ का अर्थ है ‘तीसरा दिन’। इसलिए, यह दिन अक्षय और अविनाशी भाग्य और समृद्धि से जुड़ा हुआ है। इस दिन बिना मुहूर्त देखे गृह प्रवेश, भूमि पूजन, नया व्यवसाय शुरू करना बहुत ही शुभ माने जाते हैं। क्योंकि यह दिन स्वयं ही अबूझ मुहूर्त होता है।
पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल को शाम 5 बजकर 29 मिनट पर होगी। ये तिथि 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर खत्म हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 7 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है, क्योंकि यह धन और समृद्धि का प्रतीक है। पंचांग के अनुसार, इस साल सोना खरीदने का शुभ समय 29 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 33 मिनट से 30 अप्रैल की रात 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) की पूजा विधि
अक्षय तृतीया Akshaya Tritiyaके दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना शुभ माना जाता है। पवित्र जल से स्नान करें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करना और भी सही है। सबसे पहले इस दिन घर और पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक साफ स्थान पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों या चित्रों को स्थापित करें। भगवान गणेश और कुबेर की मूर्ति भी रख सकते हैं। मूर्तियों पर गंगाजल छिड़ककर उन्हें शुद्ध करें। मूर्तियों को चंदन का लेप और कुमकुम का तिलक लगाएं। भगवान विष्णु को पीले फूल और देवी लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करें।
अक्षत, दूर्वा घास, नारियल, सुपारी और पान के पत्ते भी चढ़ाएं। भगवान को फल, मिठाई और विशेष रूप से जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल का भोग लगाएं। तुलसी का पत्ता अवश्य रखें। विष्णु सहस्रनाम, लक्ष्मी स्तोत्र, या विष्णु और लक्ष्मी के अन्य मंत्रों का जाप करें। आप गणेश चालीसा और कुबेर चालीसा का भी पाठ कर सकते हैं। घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती करें। पूजा के बाद भोग को परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों में वितरित करें।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का महत्व
अक्षय तृतीया का दिन हिन्दू धर्म में बहुत ही विशेष माना गया है, क्योंकि इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। महाभारत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था, जिससे उन्हें कभी भोजन की कमी नहीं हुई। सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ भी इसी दिन हुआ माना जाता है। जल, अन्न, वस्त्र, सोना, गाय, और भूमि का दान इस दिन विशेष पुण्यकारी माना जाता है। विशेषकर गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना अत्यंत पुण्यदायक होता है। इस दिन लोग सोना या चांदी खरीदते हैं, क्योंकि यह समृद्धि और अच्छे भविष्य का प्रतीक माना जाता है। यह दिन भगवान ऋषभदेव की पहली आहार ग्रहण तिथि के रूप में भी मनाया जाता है, जब उन्होंने एक साल का उपवास समाप्त कर गन्ने का रस से आहार लिया था।