देवउठनी एकादशी (Dev uthani Ekadashi) पर्व 23 नवंबर को मनाया जाएगा। हिंदू मान्यता के मुताबिक चार माह के शयन के बाद देवउठनी एकादशी पर देव उठ जाएंगे। इसके साथ ही मांगलिक कार्यों व विवाह का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
इसी के साथ पिछले चार माह से मांगलिक व वैवाहिक आयोजनों पर लगा विराम भी हट जाएगा। 23 नवंबर से विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे, जो कि 15 दिसंबर तक चलेंगे। नवंबर व दिसंबर में कुल 13 शुभ मुहूर्त है। इन मुहूर्त के दौरान क्षेत्र में अधिक संख्या में वैवाहिक आयोजन होंगे।
देवउठनी एकादशी (Dev uthani Ekadashi) पर तुलसी विवाह की परंपरा
गुरुवार को देवउठनी एकादशी पर्व (Dev uthani Ekadashi) पर तुलसी विवाह के बाद हिंदू धर्म में शादी-ब्याह व शुभ आयोजनों का दौर शुरू हो जाएगा। निमाड़ क्षेत्र में देवउठनी एकादशी (खोपड़ी ग्यारस) पर धार्मिक आयोजन के तहत घर-घर लग्न मंडप बनाकर तुलसी विवाह संपन्न कराने की परंपरा है।
रात में गन्ने की खोपड़ी बनाकर तुलसी का गमला व भगवान कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है। इसके बाद बोर, भाजी, आंवला, उठो देव सांवला का उद्घोष कर भगवान को जगाया जाता है। कई स्थानों पर भगवान के जागने के बाद पटाखे फोड़े जाते हैं। घंटी-घड़ियाल बजाकर आगाज किया जाता है कि देव उठ गए और शुभ कार्य शुरू हो गए हैं।
विवाह आयोजन की मुख्य तारीख
पं. मनोज जोशी ने बताया 23 नवंबर से 15 दिसंबर तक विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। गुरुवार को देवउठनी एकादशी के दिन अबूझ मुहूर्त है। इस बार विवाह के शुभ मुहूर्त केवल 13 है, जो 23 नवंबर से 15 दिसंबर तक रहेंगे। 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2024 तक धनु के सूर्य में आने से खरमास प्रारंभ हो जाएगा और विवाह व मांगलिक आयोजन पर विराम लग जाएगा। 15 जनवरी से वैवाहिक आयोजन वापस प्रारंभ हो जाएंगे।