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प्रदेश की 13 हवाई पट्टियों पर संचालित होंगे उड्डयन के प्रशिक्षण कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य की कुल 17 हवाई पट्टियों में 13 पर उड्डयन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित करने का फैसला लिया है। राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को योगी कैबिनेट ने भी सोमवार को अपनी मंजूरी दे दी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज देर शाम कैबिनेट की बैठक हुई। इस दौरान कैबिनेट ने कई प्रस्तावों को पारित किया।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने राज्य सरकार की प्रस्तावित नयी नीति ‘उड्डयन के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रमों और फ्लाइंग क्लबों व अकादमियों के लिए हवाई पट्टियों के उपयोग की नीति’ को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अन्तर्गत नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा चयनित संगठनों (फ्लाइंग क्लब व एकेडमी) को अकबरपुर (अम्बेडकरनगर), अन्धऊ (गाजीपुर), श्रावस्ती, फर्रुखाबाद, धनीपुर (अलीगढ़), अमहट (सुल्तानपुर), म्योरपुर (सोनभद्र), सैफई (इटावा), पलिया (खीरी), झांसी, रसूलाबाद (कानपुर देहात), आजमगढ़ व चित्रकूट जनपदों में स्थित कुल 13 हवाई पट्टियों तथा उन पर निर्मित हैंगर, भवन आदि को उड्डयन के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने हेतु अनुमति प्रदान की जाएगी।

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प्रवक्ता ने बताया कि उप्र में कुल 17 हवाई पट्टियां स्थित हैं। वर्ष 2007 में इन हवाई पट्टियों के रख-रखाव, सुरक्षा राज्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों तथा रोजगार के नए अवसरों के नए सृजन की प्रतिबद्धता को दृष्टिगत रखते हुए राज्य द्वारा अपने नियंत्रणाधीन व स्वामित्व की हवाई पट्टियों का निजी संस्थाओं को उड़ान प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं वायुयान अनुरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए अनुमति दिए जाने हेतु नीति निर्धारित की गई थी एवं तत्समय क्रियाशील कुल 12 हवाई पट्टियों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के रूप में निजी संस्थाओं को उड़ान प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं वायुयान अनुरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए उपयोग करने की अनुमति की नीति शासनादेश दिनांक 27 जुलाई, 2007 के माध्यम से प्रख्यापित की गई। उक्त नीति के अन्तर्गत वर्तमान में अलीगढ़ हवाई पट्टी पर 04, सुल्तानपुर हवाई पट्टी पर 01, मेरठ हवाई पट्टी पर 01 व अयोध्या हवाई पट्टी पर 01 निजी संस्था अपनी गतिविधियाँ संचालित कर रही हैं।

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार पूर्व नीति के लागू होने से अब तक लगभग 13 वर्ष के समय में नागरिक उड्डयन के परिवेश में काफी बदलाव हो गया है। ऐसे में सरकार ने पूर्व की नीति में कतिपय संशोधन कर नई नीति लागू किए जाने का निर्णय लिया है।

गेहूं व धान के बीज पर मिलेगा अनुदान

प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 से आगामी वित्तीय वर्षों हेतु बीज ग्राम योजनान्तर्गत गेहूं एवं धान के बीज पर अन्य केन्द्रीय योजनाओं के समतुल्य अनुदान की धनराशि दिये जाने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा विशेष अनुदान की नयी व्यवस्था प्रारम्भ किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

उन्होंने बताया कि केन्द्र पोषित योजनाओं यथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, पूर्वी भारत में हरित क्रान्ति के विस्तार की योजना, एकीकृत धान्य विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत धान एवं गेहूं बीज वितरण पर कृषकों को मूल्य का 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 2,000 रुपये प्रति कुन्तल, जो भी कम हो, अनुदान अनुमन्य है ।

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बीज ग्राम योजना के अन्तर्गत धान एवं गेहूं के बीजों के वितरण पर मूल्य का 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 1,750 रुपये प्रति कुन्तल धान पर एवं 1,600 रुपये प्रति कुन्तल गेहूं पर अनुदान अनुमन्य किया गया है, जो अन्य केन्द्रीय योजनाओं की तुलना में कम है। इससे कृषक इस योजना की ओर कम आकर्षित होते हैं, जिसके कारण भारत सरकार से आवंटित धनराशि का शत-प्रतिशत सदुपयोग नहीं हो पाता।

प्रस्तावित विशेष अनुदान की नई व्यवस्था का उद्देश्य कृषकों के माध्यम से उन्नतिशील प्रजातियों के बीजोत्पादन को प्रोत्साहित कर, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना तथा अनुदान पर विभिन्न फसलों के उन्नतशील प्रजातियों के बीज अधिकाधिक कृषकों को उपलब्ध कराना है ।

विन्ध्यवासिनी मंदिर परियोजना को मिली मंजूरी

योगी कैबिनेट ने आज की बैठक में मीरजापुर जिले में विन्ध्यवासिनी मंदिर को जाने वाले मार्गों को जोड़ने वाले पहुंच मार्गों के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण, विन्ध्यवासिनी मंदिर पर परकोटा एवं परिक्रमा पथ के निर्माण एवं विन्ध्यवासिनी मंदिर की गलियों के फसाड ट्रीटमेंट के निर्माण में उच्च विशिष्टियों के प्रयोग के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

विन्ध्यवासिनी मंदिर को जाने वाले मार्गों को जोड़ने वाले पहुंच मार्गों के सुदृढ़ीकरण एवं निर्माण से सम्बन्धित परियोजना के लिए 4038.10 लाख रुपये, विन्ध्यवासिनी मंदिर पर परकोटा एवं परिक्रमा पथ के निर्माण से सम्बन्धित परियोजना के लिए 4,575.97 लाख रुपये तथा विन्ध्यवासिनी मंदिर की गलियों के फसाड ट्रीटमेंट के निर्माण से सम्बन्धित परियोजना के लिए 4,187.92 लाख रुपये की लागत आकलित की गयी है। कैबिनेट ने परियोजना के सम्बन्ध में अग्रतर कार्यवाही हेतु निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।

उप्र एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ अनुमोदित

प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने भारत सरकार द्वारा स्वीकृत एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ की भांति उप्र के लिए तैयार की गयी उत्तर प्रदेश एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ को भी अनुमोदित कर दिया है।

इसके तहत उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा संरक्षित स्मारकों व पुरास्थलों का स्थलीय विकास, रखरखाव एवं जन सुविधाओं का प्रबन्धन सार्वजनिक उद्यम इकाइयों व निजी क्षेत्र की सहभागिता से किया जाएगा। नीति के तहत संरक्षित स्मारकों व पुरास्थलों को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र के उद्यमियों को स्मारक मित्र बनाया जाना प्रस्तावित है। चयनित स्मारक मित्रांे द्वारा स्वयं के संसाधनों से स्मारकों का स्थलीय विकास, पर्यटकों के लिए स्मारक परिसर में जनसुविधा प्रबन्धन एवं वार्षिक रखरखाव आदि की व्यवस्था की जाएगी।

उन्होंने बताया कि इस नीति के अन्तर्गत चयनित स्मारक मित्र, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग), पर्यटन विभाग एवं सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी के मध्य एमओयू किया जाएगा, जिसकी अधिकतम अवधि पांच वर्ष के लिए होगी। योजना के क्रियान्वयन हेतु संस्कृति विभाग एवं पर्यटन विभाग की एक संयुक्त समिति बनायी जाएगी। संयुक्त समिति द्वारा निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार कार्य किया जाएगा।

नीति के अन्तर्गत प्रथम चरण में राज्य पुरातत्व विभाग के 11 प्रमुख स्मारकों व स्थलों का चयन स्मारक मित्र बनाये जाने के लिए किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमति प्रदान कर दी गयी है। चयनित स्मारकों में छतरमंजिल एवं फरहत बख्श कोठी कैसरबाग लखनऊ, कोठी गुलिस्ताने इरम कैसरबाग लखनऊ, दर्शन विलास कोठी कैसरबाग लखनऊ, हुलासखेड़ा उत्खनन स्थल मोहनलालगंज लखनऊ, कुसुमवन सरोवर गोवर्धन मथुरा, गोवर्धन की छतरियां गोवर्धन मथुरा, रसखान समाधि गोकुल मथुरा, गुरुधाम मन्दिर वाराणसी, कर्दमेश्वर महादेव मन्दिर कंदवा वाराणसी, चुनार किला मीरजापुर एवं प्राचीन दुर्ग बरुआसागर झांसी सम्मिलित हैं।

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