लखनऊ/रामपुर। समाजवादी पार्टी के दिग्गज एवं वरिष्ठ नेता आज़म खान (Azam Khan) को आरएसएस को बदनाम करने के मामले में लखनऊ की एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। आजम खान (Azam Khan) पर आरोप था कि उन्होंने मंत्री रहते हुए अपने लेटर पैड पर आरएसएस पर टिप्पणी की थी। इसके बाद लखनऊ के हजरतगंज थाने में 2019 में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। अब फैसला आने के बाद कोर्ट से बाहर निकलने पर आजम खान ने कहा, हम खून की किस्तें तो कई दे चुके लेकिन ऐ खाके वतन कर्ज अदा क्यों नहीं होता।
इससे पहले हाई कोर्ट ने रामपुर में दर्ज मामले की कार्यवाही रद्द करने वाली खान की अर्जी खारिज कर दी थी। साथ ही निचली अदालत को मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने बताया कि मामले की पड़ताल पूरी हो चुकी है। अब दलीलें सुनने की तारीख तय की गई है।
उधर, पीठ ने अब्दुल्ला आजम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, निचली अदालत को इस पर फैसला करने दीजिए। अदालत पर भरोसा रखें। इस चरण में हमें इसमें हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए। सुनवाई अदालत हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश से प्रभावित हुए बिना सभी मुद्दों पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होगी।
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, मामले में एफआईआर जुलाई 2019 में दर्ज की गई थी। आरोप था कि अब्दुल्ला आजम ने जाली और फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट बनवाया। एफआईआर में दावा किया गया है कि हाई स्कूल के प्रमाण-पत्र सहित उनके शैक्षिक रिकॉर्ड में जन्मतिथि एक जनवरी 1993 है। जबकि पासपोर्ट में 30 सितंबर 1990 है।









