Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

शिकस्त से तिलमिलाए आजम खान, बोले- ईमानदारी से चुनाव हों, हार गये तो राजनीति छोड़ दूंगा

azam khan

azam khan

रामपुर। रामपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) को मिली शिकस्त से तिलमिलाये पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद आजम खान (Azam Khan) ने कहा कि ईमानदारी से चुनाव कराने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यहां आए और चुनाव कराए। चुनौती देते हैं, अगर चुनाव हार जाएंगे राजनीति का मैदान छोड़ देंगे।

सपा प्रत्याशी आसिम राजा की हार के बाद सपा कार्यालय दारुल आवाम पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आजम खान ने शासन, प्रशासन और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होने कहा “ कोई अंतरराष्ट्रीय आर्गेनाइजेशन यहां आए और कराए चुनाव, जिम्मेदारी ले ले। दुनिया की सबसे ताकतवर फौज यहां आकर लग जाए। ईमानदारी से चुनाव कराने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यहां आए और चुनाव कराए। चुनौती देते हैं, खुली चुनौती देते हैं, अगर चुनाव हार जाएंगे राजनीति का मैदान छोड़ देंगे।”

उन्होने कहा कि मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी को किस हद तक अदा किया है यह सब आप लोग जानते हैं। मीडिया ने कैमरे में जो दिखाना चाहिए था वह नहीं दिखाया। जिस पर जिम्मेदारी थी, उसी पुलिस ने कई वर्षों से रामपुर को सियासी तौर पर माली तौर पर हमला की तौर पर सामाजिक तौर पर लूट, बर्बाद करके, फर्जी मुकदमें लगा कर अपने दिल को तसल्ली दी है जिससे बड़ी मायूसी होती है।

श्री खान (Azam Khan) ने कहा कि तकलीफ इसलिए भी होती है क्योंकि अपने ही वतन में अपने ही हम वतनों का हमारे साथ यह सुलूक है। एक ही तबके वालों को निशाना बनाया गया जबकि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी जिम्मेदारी यानी उसी तरह लोग थानों में बंद होने चाहिए थे, उसी तरह पगड़ी पर हाथ डालना चाहिए था, उसी हिसाब से टोपी पर हाथ डालना चाहिए था, लेकिन सिर्फ एक ही वर्ग को निशाना बनाया गया। एक ही वर्ग है जो हर नफरत का हकदार है।

आजम-अखिलेश का टूटा तिलिस्म, रामपुर-आजमगढ़ में खिला कमल

आजम खान ने कहा “ वतन हमसे कितना खून, कितनी जिल्लत और कितनी कुर्बानी मांगता है। हमसे कितनी घृणा करता है। आखिर इसकी कोई हद तो हो। साथ ही उन्होंने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर में जो चुनाव हुआ है, वह चुनाव है ही कहां। इसे आप चुनाव कहेंगे। अगर कोई ऐसा तेजाब है जो हमारे गला देने के लिए काफी हो तो हम इसके लिए भी तैयार हैं। वतन छोड़कर कहां चले जाएं और कौन हमें ले लेगा।”

उन्होंने शेर पढ़ा “ हम खून की किश्तें तो कई दे चुके लेकिन, ऐ ख़ाक ए वतन कर्ज अदा क्यों नहीं होता।” हम अपनी हार पर खुश हैं, लेकिन हमें यह भी मालूम है कि आप अपनी जीत पर खुश नहीं हैं। हमें मालूम है कि आपको मालूम है कि आपकी जीत कैसे हुई है।

Exit mobile version