सपा सांसद और कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार को यूनिवर्सिटी पहुंची तहसील की टीम ने जमीन पर कब्जा करने के साथ ही आजम खान के मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को बेदखल कर दिया।
यह ट्रस्ट ही यूनिवर्सिटी को संचालित करता है और आजम खान इसके अध्यक्ष हैं, जबकि उनकी पत्नी शहर विधायक डॉ. तजीन फात्मा सचिव हैं। एडीएम प्रशासन ने जौहर यूनिवर्सिटी की करीब 70 हेक्टेयर ज़मीन को राज्य सरकार में निहित करने का आदेश दिया था। एडीएम के इस आदेश के खिलाफ जौहर ट्रस्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट याचिका दाखिल की जौहर ट्रस्ट की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। याचिका खारिज होने के बाद अब जिला प्रशासन ने कार्रवाई तेज कर दी है।
अब उस ज़मीन पर कब्जा और दखल के लिए टीम जौहर यूनिवर्सिटी पहुंची। लेकिन यूनिवर्सिटी के वीसी ने दखल और कब्जा के पेपर पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इस मामले में तहसीलदार सदर प्रमोद कुमार ने बताया अपर जिलाधिकारी महोदय द्वारा अपने आदेश में 70 हेक्टेयर जमीन को राज्य सरकार में निहित किया गया था।
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हाईकोर्ट के इसी फैसले के बाद अब रामपुर जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया और तहसील सदर रामपुर के तहसीलदार ने जौहर यूनिवर्सिटी पहुंचकर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से जमीन का कब्जा सरकार के हाथ में लिए जाने के लिए नोटिस प्राप्त करने को कहा जिसे तहसीलदार सदर के मुताबिक जौहर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने इंकार कर दिया। नियमों के अंतर्गत तहसीलदार सदर ने 2 गवाहों की मौजूदगी में जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन पर सरकारी कब्जा लिए जाने की कार्रवाई पूरी की।
ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि 7 नवंबर 2005 को सरकार ने ट्रस्ट को 400 एकड़ जमीन की मंजूरी दी। जिसमें से 12.50 एकड़ में विश्वविद्यालय बनाने की सीलिंग की गई। 17 जनवरी 2006 को 45.1 एकड़ जमीन तथा 16 सितंबर 2006 को 25 एकड़ अतिरिक्त जमीन की मंजूरी दी गई।
एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया कि 24000 वर्ग मीटर जमीन में ही निर्माण कार्य कराया जा रहा है। शर्तों का उल्लघंन किया गया है। याची का कहना था कि ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहम्मद आजम खान, सचिव डॉ तंजीन फात्मा व सदस्य अब्दुल्ला आजम खान 26 फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद हैं।