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बाबा रामदेव ने मांगी माफी, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा- ये उनकी परिपक्वता को दर्शाता है

Dr. Harshvardhan-baba ramdev

Dr. Harshvardhan-baba ramdev

योगगुरु बाबा रामदेव के ऐलोपैथी चिकित्सा पर दिए गए बयान के बाद से बढ़े विवाद पर अब विराम लगता दिखाई दे रहा है। बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन की नाराजगी के बाद बाबा रामदेव ने अपनी गलती स्‍वीकार करते हुए एलोपैथिक दवा के खिलाफ दिए अपने बयान को वापस ले लिया है।

योगगुरु रामदेव इस कदम के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि जिस तरह से उन्‍होंने अपने बयान वापस लिए और इस मुद्दे पर विवाद को रोका है वह काबिले तारीफ है और ये उनकी परिपक्वता को दर्शाता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए कहा, बाबा रामदेव ने एलोपैथिक चिकित्सा पर अपना बयान वापस लेकर जिस तरह पूरे मामले को विराम दिया है, वह स्वागतयोग्य व उनकी परिपक्वता का परिचायक है। उन्‍होंने आगे लिखा, हमें पूरी दुनिया को दिखाना है कि भारत के लोगों ने किस प्रकार डटकर कोविड 19 का सामना किया है। नि:संदेह हमारी जीत निश्चित है!

बता दें क‍ि रामदेव के बाद से उपजे विवाद को देखते हुए केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने योगगुरु रामदेव को इस मामले पर पत्र लिखकर कहा था कि वे अपना आपत्तिजनक बयान वापस लें।

डॉक्टर हर्षवर्धन ने सीधे शब्दों में लिखा था कि – ‘आपके द्वारा कोरोना के इलाज में एलोपैथी चिकित्साक को ‘तमाशा’। ‘बेकार’ और ‘दिवालिया’ बताना दुर्भाग्यपूर्ण है। आज लाखों लोग ठीक होकर घर जा रहे हैं। देश में अगर कोरोना से मृत्यु दर सिर्फ 1.13 प्रतिशत है और रिकवरी रेट 88 प्रतिशत से ज्यादा है, तो उसके पीछे एलोपैथी और उसके डॉक्टरों का अहम योगदान है।’

स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा है कि योगगुरु रामदेव सार्वजनिक जीवन में रहने वाले शख्स हैं, ऐसे में उनका बयान मायने रखता है। उन्हें किसी भी मुद्दे पर समय, काल परिस्थित को देखकर बयान देना चाहिए। उनका बयान डॉक्टरों की योग्यता और क्षमता पर सवाल खड़ा करने के साथ कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई को कमजोर करने वाला हो सकता है।

स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि मामले पर जो स्पष्टीकरण शनिवार को जारी किया गया था, वह लोगों की चोटिल भावनाओं पर मरहम लगाने में नाकाफी है। उन्होंने रामदेव के बयान का जिक्र करते हुए लिखा है कि – ‘आपका यह कहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाखों कोरोना मरीज़ों की मौत एलोपैथी दवा खाने से हुई। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना महामारी के खिलाफ यह लड़ाई सामूहिक प्रयासों से ही जीती जा सकती है।’ उन्होंने ये भी याद दिलाया कि कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में भारत सहित पूरे विश्व के असंख्य डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी जान न्यौछावर की है।

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