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पिता इरफान की याद में रोए बाबिल, माँ ने लिखी भावुक कविता

Babil cried in memory of father Irrfan, mother wrote emotional poem

Babil cried in memory of father Irrfan, mother wrote emotional poem

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता इरफान खान हाल ही में हम सब को अलविदा कह गए। इरफान खान के जाने का गम आज तक कोई भुला नहीं पाया है। उनकी पत्नी सुतापा सिकदार तो सोशल मीडिया के जरिए इरफान से जुड़ी यादें अक्सर साझा किया करती हैं। बता दे हाल ही में उन्होंने अपने बेटे बाबिल खान को लेकर एक बेहद इमोशन पोस्ट किया है। दरअसल इरफान के बेटे बाबिल आंसू बहाते दिख रहे हैं। जिसको देखते हुए सुतापा ने एक बेहद इमोशनल कविता लिखी है, जिसमें बताया है कि किस तरह बाबिल खुलकर अपने जज्बात खुलकर जाहिर करते हैं।

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इस तस्वीर के कैप्शन में सुतापा ने जो कविता लिखी है वो कुछ यूं है-

 

‘मेरा बेटा, बड़ा कड़क लौंडा है वो..

चुप चुप के नही सबके सामने ज़ार ज़ार रोता है वो।

बड़ा कड़क लौंडा है,

बाप के यादों को समेटता है।

नाज़ुक उंगलियों से बिखेरता है

उन्हें ख़ुशबू कि तरह, सहेजता है

उन्हें बंद डायरी में… बड़ा सख्त लौंडा है वो।

अपनी मां को गले लगाके कह पाता है…

‘पूरी ज़िंदगी तू घना पेड़ थी हम सब के लिए।

अब उड़ मां पंख फैलाए होश गवाएं’।

शर्माता है गालों पर उसके गिरते हैं

डिम्पल मुस्कुराकर… जब कहता है

अपनी ही मां को ‘अब तो जा जीले अपनी ज़िंदगी सिमरन’।

बड़ा शख़्त लौंडा है यह…

रात भर रोता है बाबा की याद में…

जब आंख सूज जाती है

तो पूछने पर यह नही कहता-

अपनी मरदानगी के ख़ातिर की सोया नहीं रात भर।

कह देता है रोया हूं मां…

अहससात को जज़्बात को नौ मन बोझ बनाके नही रखता क्यूंकि मर्द है वो…

अल्लाह का लाख-लाख शुक्र है बड़ा सख़्त लौंडा है मेरा बेटा।

क्यूंकि जज़्बात छिपाने के लिए नहीं दिखाने के लिए जिगर चाहिए होता है।

पुराने रिवायतों को तोडकर नए आयाम बनाने के लिए जिगर चाहिए होता है।

बहुत बहुत सख्त होना पढ़ता है नरम दिखने के लिए।

बड़ा शख़्त लौंडा है यह।

 

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