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25 साल बाद जेल से बाहर आएगा यूपी का डॉन

Bablu Srivastava

Bablu Srivastava

बरेली। अंडरवर्ल्ड में माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava)  का बड़ा नाम है। ऐसा नाम, जिससे कभी डी कंपनी का सरगना दाऊद इब्राहिम भी थरथर कांपता था। उसे भारत छोड़ कर पाकिस्तान में शरण लेनी पड़ी। फिलहाल बबलू श्रीवास्तव 25 साल से बरेली के जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, लेकिन अब उसकी रिहाई का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। जेल प्रशासन ने उसके अच्छे आचरण के आधार पर उसे रिहा करने के लिए सरकार से सिफारिश की है। आइए जानते है बबलू श्रीवास्तव की पूरी क्राइम कुंडली।

उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के रहने वाले बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava)  के पिता गाजीपुर पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रिंसिपल थे, वहीं उसके बड़े भाई सेना में कर्नल। खुद बबलू भी बचपन से काफी मेधावी था और पढ़ लिखकर देश का सबसे बड़ा वकील बनना चाहता था। हालांकि उसके पिता चाहते थे कि वह भी बड़े भाई की तरह सेना में जाए। लेकिन बबलू की जिद और प्रतिभा के आगे उन्होंने हार मान ली और कानून की पढ़ाई के लिए उसे लखनऊ यूनिवर्सिटी में दाखिला दिला दिया।

लखनऊ आए बबलू को अभी कुछ ही दिन हुए थे कि कैंपस में चाकूबाजी हो गई और इसमें बबलू को भी जेल जाना पड़ा था। यही उसके जीवन का टर्निंग प्वाइंट था। बबलू का दावा है कि उसे गलत तरीके से इस मामले में फंसाया गया था। लेकिन चूंकि सारे सबूत उसके खिलाफ थे, इसलिए पुलिस ने उसकी एक ना मानी और उसे सजा काटनी पड़ी। कुछ समय बाद जब वह जेल से बाहर आया तो पूरी तरह से बदल चुका था। उसने ठान लिया था कि अब उसका लक्ष्य टॉप का वकील बनना नहीं, टॉप का अपराधी बनना है।

इसके बाद तो वह एक के बाद एक अपराधों का अंजाम देते हुए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के संपर्क में आ गया और कुछ ही दिन में उसका सबसे खास शार्गिद बन गया। लखनऊ आने के बाद बबलू श्रीवास्तव ने छात्र राजनीति में भी कदम रखा, लेकिन यहां उसे कुछ खास सफलता नहीं मिली। लेकिन जरायम की दुनिया में वह बहुत कम समय में ही कुख्यात हो गया। देश के अलग अलग राज्यों में 60 से अधिक मुकदमे तो बबलू श्रीवास्तव के नाम से दर्ज हैं। वहीं करीब इतने ही संगीन मामलों में वह संदिग्ध आरोपी है। इन वारदातों को दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी ने अंजाम दिया था।

दाउद को दी थी गोली मारने की धमकी

हालांकि जब डी कंपनी ने मुंबई ब्लास्ट की प्लानिंग की तो बबलू इसके विरोध में आ गया। इस बात को लेकर दाऊद से उसका झगड़ा हुआ और बबलू ने दाऊद को खुलेआम धमकी दी। कहा कि विस्फोट हुए तो वह उसे गोली मार देगा। बावजूद इसके विस्फोट तो हुआ, लेकिन दाऊद को भी भागकर पाकिस्तान में शरण लेनी पड़ी। हालांकि इस घटना के बाद दाऊद के डर से बबलू श्रीवास्तव को भी एक के बाद एक कई देशों में भागते रहना पड़ा था।

मारीशस में हुई गिरफ्तारी

इसी बीच बबलू ने पुणे में कस्टम विभाग के एक अधिकारी एलडी अरोड़ा की हत्या कर दी। इस मामले में उसे करीब 25 साल पहले मारीशस में गिरफ्तार किया गया और बाद में उसे प्रर्त्यपण कर भारत लाया गया। तब से वह बरेली की जेल में बंद है। इस जेल में बबलू श्रीवास्तव के साथ उसके साथी मंगेश उर्फ मंगे तथा कमल किशोर सैनी भी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। जेल अधिकारियों के मुताबिक जेल में आने के बाद भी कुछ समय तक बबलू के तेवर अपराधियों वाले थे।

जेल में बैठकर लिखी तीन किताबें

हालांकि 25 साल तक जेल में रहने के दौरान उसके आचार विचार और व्यवहार में काफी परिवर्तन आया है। उसने जेल की काल कोठरी में ही बैठकर अपराध के विषय पर तीन किताबें लिखी हैं। इनमें पहली किताब साल 2004 में अधूरी ख्वाहिश के नाम से आई थी। वहीं दूसरी किताब साल 2018 में बढ़ते कदम नाम से प्रकाशित हो चुकी है। जबकि तीसरी किताब क्रिमिनल का काम पूरा हो चुका है और छपने के लिए प्रेस में चली गई है।

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बता दें कि जेल प्रशासन ने उसके अच्छे आचरण को देखते हुए उसे रिहा करने का फैसला किया है। 25 साल तक जेल में रहे बबलू श्रीवास्तव के बारे में जेल प्रशासन ने सरकार को लिखा है। इससे पहले बबलू श्रीवास्तव ने भी इसी आधार पर क्षमा याचिका लगाई थी। जेल प्रशासन की इस संस्तुति के बाद पुलिस ने उसके आचरण की डिटेल मंगा कर शासन को भेज दी है। यदि शासन से मंजूरी मिलती है तो जल्द ही उसे जेल से रिहा कर दिया जाएगा।

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