उत्तर प्रदेश में कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि बदायूं में महिला के साथ जिस तरह की बर्बरता की गयी है वह ‘निर्भया काण्ड’ से भी अधिक भयानक है ।
श्रीमती मिश्रा ने गुरूवार को कहा कि महिला के साथ की गयी वीभत्सता साबित करती है कि राज्य में अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद है। उन्हे पुलिस प्रशासन का कोई खौफ नहीं रह गया है। हाथरस समेत प्रदेश में महिलाओं के प्रति इस तरह की घटनाओं में सर्वोच्च पदों पर बैठे हुये लोग अपराधियों के साथ खड़े नजर आते हैं। लखनऊ में एक वरिष्ठ रैंक के आफिसर ने कहा कि कि ‘‘बलात्कार हुआ ही नहीं’’। सत्तारूढ़ दल ने राजनैतिक रूप से उस पीड़ित बेटी को न्याय न मिले, इसके लिये विरोधी दल के नेताओं को पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया गयाा ।
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उन्होने कहा कि प्रदेश सरकार पीड़िता के साथ खड़ी होती कि ऐसी किसी भी घटना को रोका जा सकता था। महिलाओं की हिंसा में आज उत्तर प्रदेश का स्थान देश में ‘पहले नम्बर’ पर है । सरकार के लिये यह और भी अधिक शर्मनाक है कि बदांयूॅ की पीड़िता की 18 घण्टे बाद एफआईआर लिखी गयी और 44 घण्टे तक पीड़िता का पोस्टमार्टम नहीं हुआ ।
कांग्रेसी नेता ने कहा कि राजधानी लखनऊ में सरेआम जिस तरह एक भीड़भाड़ वाले इलाके में गोलियां चली और 30 राउण्ड फायर हुये, वह उत्तर प्रदेश की बदतर कानून व्यवस्था की सच्चाई को बयान करता है। लखनऊ में एक सशस्त्र व्यक्ति सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी का क्या हाल होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है ।
उन्होने कहा कि बदायूं की घटना में पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजे के तौर पर दिये जायं, तथा परिवार को एक आवास और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाय । इसके अतिरिक्त पीड़ित परिवार वाले जिस जांच एजेंसी से चाहें उससे घटना की जांच करायी जाय, तथा एक ‘‘विशेष अधिवक्ता’’ लगाकर मुकदमे की पैरवी करायी जाय ।