खेल के क्षेत्र में दिए जाने वाले सबसे बड़े पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न एवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न रख दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उक्त जानकारी दी है।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया,”‘देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा,”मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे, जिन्होंने भारत के लिए सम्मान और गौरव लाया। यह सही है कि हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर रखा जाएगा।”
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ध्यानचंद ने लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाया था। 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में जन्मे ध्यानचंद की उपलब्धियों ने भारतीय खेल के इतिहास को नए शिखर पर पहुंचाया है।
ध्यानचंद ने 22 साल तक भारत के लिए खेला और 400 अंतरराष्ट्रीय गोल दागे। कहा जाता है कि जब वो खेलते थे, तो मानो गेंद स्टिक पर चिपक जाती थी। हॉलैंड में एक मैच के दौरान चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई थी। जापान में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई थी।