उत्तर प्रदेश में मथुरा के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) अनिल कुमार पाण्डे ने पापुलर फ्रन्ट आफ इण्डिया (पीएफआई) फन्डिंग मामले के आरोपी रऊफ शरीफ की जमानत अर्जी को आज खारिज कर दिया ।
जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम सिंह ने बताया कि रऊफ शरीफ पर हाथरस में बलात्कार पीड़ित की मृत्यु के बाद वातावरण को खराब करने के लिए अभियुक्त अतीकुररहमान एवं तीन अन्य को धन बांटने का आरोप है। इस मामले में देशद्रोह एवं आईटी ऐक्ट जैसे गंभीर अपराधों में पांच अक्टूबर को मथुरा जिले के मांट थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किये गए पीएफआई के अतीकुररहमान, मसूद, आलम एवं पत्रकार सिद्दीक कप्पन को मथुरा पुलिस ने पहले शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया था उसके बाद ही उन पर देशद्रोह जैसी धाराएं लगाई गई थी।
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उन्होंने बताया कि एसटीएफ का आरोप है कि देश में अशान्ति का वातावरण बनाने के लिए अभियुक्त रऊफ शरीफ को विदेशों से लगभग दो करोड़ की धनराशि मिली है ,जिसमें से एक करोड़ 35 लाख उसके आईसीआईसीआई बैंक के खाते में मिला है। इसके अलावा 18 लाख चीन से तथा कोविड-19 के दौरान 29 लाख आठ किश्तों में मिला है। सारा पैसा उसके आईसीआईसीआई एवं फेडरल बैंक के खाते में जमा पाया गया है ।
उधर बचाव पक्ष के अधिवक्ता मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने कहा कि वे उच्च न्यायालय इलाहाबाद में इसकी अपील करेंगे क्योंकि महत्वपूर्ण तथ्यों पर विचार नहीं किया गया है। जो धनराशि नाजायज गतिविधियों के लिए फन्डिग करने के लिए बताई जा रही है, उसमें तारतम्य का अभाव है। यही नहीं जो भी धनराशि मिली है वह न तो नाजायज गतिविधियों के लिए नाजायज तरीके से इकट्ठा की गई है और न ही उसे नाजायज गतिविधियों के लिए प्रयोग किया गया है। एसटीएफ ने जो आरोप लगाए हैं उनमें भी तारतम्य नहीं है। अदालत ने संभवतः आरोपों की गंभीरता को देखते हुए ही जमानत की अर्जी खारिज की है।