बैसाखी (Baisakhi) का पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. सिख समुदाय के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है. बैसाखी मनाने के पीछे कई कारण मिलते हैं जिनमें से एक मुख्य कारण है गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना करना. इसके अलावा बैसाखी से सिखों का नया साल भी शुरू होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल कब मनाया जाएगा बैसाखी (Baisakhi) का पर्व, उसका शुभ मुहूर्त एवं उसका धार्मिक महत्व.
बैसाखी (Baisakhi) वसंत फसल पर्व है, जो हर साल अप्रैल में मनाया जाता है. सिख समुदाय के लोग इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं. इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और साथ ही भजन-कीर्तन जैसे मांगलिक कार्यक्रम किए जाते हैं. इस दिन लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं.
बैसाखी (Baisakhi) का पर्व सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण होता है. ये पर्व सिख समुदाय के मुख्य 3 त्योहारों में से एक है. इस पर्व को सिखों के तीसरे गुरु ‘गुरु अमर दास’ द्वारा मनाया गया था. इसके अलावा पूरे भारत में बैसाखी को फसल के मौसम के अंत का प्रतीक भी है. बैसाखी का पर्व मुख्यतौर पर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसे में इस दिन फसल के कटकर घर आने की खुशी में लोग ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और अनाज की पूजा करते हैं. वहीं, बिहार में इसे सतुआन के नाम से जाना जाता है. इस दिन सत्तू खाने की परंपरा भी है.
बैसाखी (Baisakhi) का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
बैसाखी (Baisakhi) से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएं मिलती हैं. सिख समुदाय के लोग बैसाखी को नए साल की खुशी के रूप में मनाते हैं. इस पर्व को मनाने के पीछे का कारण मिलता है कि 13 अप्रैल 1699 को सिख धर्म के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर उच्च मेष राशि में प्रवेश करता है. इस दिन सूर्यदेव और लक्ष्मीनारायण की पूजा करना बेहद शुभ होता है. ऐसा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
बैसाखी (Baisakhi) 2024 कब है?
पंचांग के अनुसार, इस साल बैसाखी (Baisakhi) 14 अप्रैल, दिन रविवार को मनाई जाएगी. ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन मेष संक्रांति भी मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य देव मीन राशि के निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे.
बैसाखी (Baisakhi) 2024 शुभ मुहूर्त
बैसाखी (Baisakhi) पर नाच-गाने के साथ ही नहीं, बल्कि बैसाखी की पूजा भी होती है. ऐसे में 14 अप्रैल रविवार के दिन बैसाखी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 12 बजे से शुरू होगा.
बैसाखी (Baisakhi) का महत्व
बैसाखी के दिन सभी गुरुद्वारों को सजाया जाता है और उनमें बड़े पैमाने पर लंगर लगाया जाता है. इस दिन दूध और जल से गुरु ग्रंथ साहिब को प्रतीकात्मक स्नान भी कराया जाता है. इसके बाद उन्हें तख्त पर स्थापित किया जाता है.
इस दिन सिख समुदाय के लोग ‘पंच प्यारे’ ‘पंचबानी’ गाते हैं जो कि बैसाखी के लोकप्रिय गीत हैं. इसके बाद दिन में अरदास की जाती है और गुरु जी को कड़ा प्रसाद का भोग लगाया जाता है. बैसाखी पर पंजाब का लोक नृत्य भांगड़ा और गिद्दा भी किया जाता है. बैसाखी को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु.