बलराम जी (Balram) भगवान कृष्ण के बड़े भाई थे। बलराम जी को लोग ब्रज के राजा के रूप में भी पूजा करते थे। भगवान बलराम की पूजा-अर्चना आदिशेष के अवतार के रूप में भी की जाती है। बलराम जी को भगवान विष्णु जी का 8वां अवतार माना जाता है। जिस नाग पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं, वह नाग आदिशेष के रूप में जाना जाता है। भगवान बलराम (Balram) को बलदेव, बलभद्र और हलायुध के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जयंती (Balram Jayanti) या वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। साल 2025 में बलराम जयंती 14 अगस्त 2025, बृहस्पतिवार के दिन मनाई जाएगी। बलराम जी द्वापर युग में अवतरित हुए थे। उन्हें दाऊ भैया के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तर भारत में इस दिन को हल षष्ठी और ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं ब्रज क्षेत्र में इस दिन को बलदेव छठ के नाम से जाना जाता है। इस दिन हल एवं बैलों की पूजा भी की जाती है। बलराम भगवान को कृषि और शक्ति का देवता भी माना जाता है। इस खास दिन पर बलराम जी के मंदिर में उनका अभिषेक और छप्पन भोग का आयोजन किया जाता है।
बलराम जी और श्रीकृष्ण भगवान भाई थे, लेकिन दोनों की मां अलग थी। श्री कृष्ण के पिता वासुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के पुत्र थे बलराम और वासुदेव की दूसरी पत्नी देवकी से पुत्र थे भगवान श्री कृष्ण।
बलराम जयंती (Balram Jayanti) 2025 महत्व
हिंदू धर्म में इस व्रत का खास महत्व है। इस व्रत को महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए रखती हैं। इस व्रत को रखने से बच्चों से जुड़ी परेशानियों का अंत होता है और विष्णु जी की कृपा बनी रहती है। साथ ही इस व्रत को करने से बीमारी, डर से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।