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दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन की लखनऊ में मौत, 20 साल से इटावा जेल में थी बंद

Kusum Nain

Kusum Nain

लखनऊ। इटावा की जिले में उम्रकैद की सजा काट रही दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन (Kusum Nain) की शनिवार रात केजीएमयू लखनऊ में इलाज के दौरान मौत हो गई। उम्रकैद की सजा काट रही कुसुमा को सैफई से एक महीने पहले लखनऊ रेफर किया गया था। उसे टीबी समेत कई बीमारियां थीं। सात सालों से इटावा जेल में बंद 65 वर्षीय कुसुमा नाइन जालौन जिले के थाना कुठौंद के गांव टिकरी की रहने वाली थी। 31 जनवरी की रात तबीयत बिगड़ने पर कुसुमा को जिला जेल से जिला अस्पताल भेजा गया था। हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उसे सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। हालत में सुधार न होने पर एक फरवरी को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) भेजा गया। इटावा जेल अधीक्षक कुलदीप सिंह भदौरिया ने बताया कि कुसुमा नाइन एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी और लिवर एसाइटिस एनीमिया पाइल्स समेत कई बीमारियों से ग्रसित थी। सैफई मेडिकल कॉलेज में वह दो-तीन बार भर्ती भी रह चुकी थी।

चंबल में था आतंक

कुसुमा (Kusum Nain) चंबल के कुख्यात डकैत राम आसरे उर्फ फक्कड़ की सहयोगी रही है। जिस समय चंबल में डकैतों का आतंक था उस समय कुसुमा नाइन की तूती बोलती थी। 1996 में भरेह इलाके में दो मल्लाहों की उसने आंखें निकाल जिंदा छोड़ दिया था। इस घटना से प्रदेशभर में हड़कंप मच गया था। कुसुमा उत्तर प्रदेश में दो सौ से अधिक आपराधिक घटनाओं में शामिल रही। एमपी में भी उसने कई घटनाओं को अंजाम दिया। 2004 को कुसुमा ने अपने गैंग के साथ भिंड जिले के दमोह पुलिस थाने की रावतपुरा चौकी पर आत्मसमर्पण कर दिया था।

20 साल से इटावा की जेल में काट रही थी सजा

करीब दो माह से टीवी रोग से ग्रसित कुसमा इटावा जिला कारागार में करीब 20 साल से सजा काट रही थी। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ और उसकी सहयोगी पूर्व डकैत सुंदरी कुसमा नाइन सहित पूरे गिरोह ने मध्यप्रदेश के भिंड जिले के दमोह पुलिस थाने की रावतपुरा चौकी पर आठ जून 2004 समर्पण कर दिया था। भिंड के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक साजिद फरीद शापू के समक्ष गिरोह के सभी सदस्यों ने बिना शर्त समर्पण किया था। फक्कड़ बाबा पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक लाख और मध्य प्रदेश पुलिस ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।

2017 में पूर्व दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन (Kusum Nain) को हुई थी उम्रकैद

उपनिदेशक गृह की हत्या और अपहरण के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट-52 ने 2017 में दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन और फक्कड़ को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। डकैतों ने अफसर के बेटे से 50 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी। फिरौती न देने पर इटावा के सहसो थानाक्षेत्र में अफसर का शव मिला था। एडीजीसी वरिष्ठ अधिवक्ता सरला गुप्ता ने बताया कि कल्याणपुर निवासी पवन कुमार शर्मा के पिता हरदेव आदर्श शर्मा उप निदेशक गृह के पद से रिटायर हुए थे। सपा नेता निर्मला गंगवार के घर पर पवन की मुलाकात प्रभा कटियार और विजय तिवारी व अन्य से हुई थी। प्रभा ने पवन को इटावा के जुहरिवा में मौसी के परिवार में गृह प्रवेश समारोह के लिए न्योता दिया था। फूड प्रोसेसिंग का कोर्स करने के चलते पवन ने खुद न जाकर अपने पिता हरदेव आदर्श को भेज दिया। जब वह नहीं लौटे तो पवन ने उनकी खोजबीन शुरू की।

सात जनवरी 1995 को जब पवन निर्मला से मिला तो उन्होंने बताया कि डाकतार विभाग में तैनात दौलतराम उनको बिना नंबर की मारुति से प्रभा कटियार के साथ ले गए हैं। वहां जाने पर पवन को दस्यु प्रभावित इलाके में जौहरी लाल के पास ले जाया गया। वहां पर पवन की तलाशी हुई। उसे एक जगह ले जाया गया जहां पर पहले से सात असलहाधारी व्यक्ति खड़े थे। वहीं पर दस्यु सरगना रामआसरे उर्फ फक्कड़ और कुसुमा नाइन से मिले और उन्होंने फिरौती का पत्र भी दिया। पवन ने पैसा न होने की असमर्थता भी जताई। ऐसे में उसे पैसा लाने के लिए छोड़ दिया गया। आठ जनवरी 1995 को सहसो थाना में हरदेव आदर्श का शव मिला। चौकीदार सेवाराम की जानकारी में पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पवन कुमार शर्मा की तहरीर पर पुलिस ने धारा 365, 302 और 34 आईपीसी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की। एफटीसी-52 अफसा की कोर्ट ने दोनों डकैतों को उम्रकैद की सजा और 35 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।

बेटे पवन कुमार शर्मा ने ही सबसे पहले फक्कड़ बाबा को पहचाना और फिर उसने कुसुमा नाइन की पहचान की। उसकी गवाही पर ही कोर्ट ने सजा सुनाई है। कोर्ट के सामने पूरे मामले में रिटायर एसआई वेद प्रकाश, चौकीदार मेवाराम, एसआई शिवसरन सिंह, पवन, भइयेलाल, शिवप्रकाश चौबे और पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर नरेश चंद्र दुबे ने गवाही दी थी। कई गवाह डकैत के मामले को देखकर मुकर चुके हैं।

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