नई दिल्ली| कोरोना संकट में पैसों की जरूरत पूरा करने के लिए बैंकों ने ओवरड्राफ्ट सुविधा शुरू की है। ओवरड्राफ्ट सुविधा वह सुविधा है जिसके तहत आप अपने बैंक खाता में पैसा न होने पर भी खाते से पैसा निकाल सकते हैं। लोन की तरह ओवरड्राफ्ट में भी बैंकों की ओर से ग्राहक के लिए एक निश्चित धनराशि एक निश्चित भुगतान अवधि के साथ लोन अमाउंट के रूप में मंजूर होती है। इसके लिए बस आपको ब्याज का भुगतान करना होगा।
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इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको बैंक में जाकर या ऑनलाइन आवेदन करना होगा। अधिकांश बैंक ओवरड्राफ्ट सुविधा के लिए ली जाने वाली कुल राशि का एक प्रतिशत प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में लेते हैं।
ओवरड्राफ्ट को लोन की तरह एमएमआई में चुकाने की बाध्यता नहीं है। ग्राहक इसे भुगतान अवधि के दौरान जब चाहे चुका सकता है। वह चाहे तो इसे टुकड़ों में चुका सकता है, या फिर एकमुश्त।
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आमतौर पर चार तरह के विकल्प
- नौकरीपेशा वर्ग अपने सैलरी एकाउंट पर ओवरड्राफ्ट ले सकते हैं। सैलरी का दो से तीन गुना तक ओवरड्राफ्ट लिया जा सकता है। जिस बैंक में आपका सैलरी अकाउंट है, उसी बैंक से ओवरड्राफ्ट की सुविधा शीघ्र और आसानी से मिल सकती है।
- बैंक होम लोन ग्राहकों को भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। संपत्ति के कुल मूल्य का 50 से 60 प्रतिशत तक ओवरड्राफ्ट मिल सकता है। इसके लिए ग्राहक की लोन चुकाने की क्षमता और क्रेडिट हिस्ट्री का भी आंकलन किया जाता है।
- आप अपनी बीमा पॉलिसी को गारंटी के तौर पर बैंक के पास रखकर उसपर ओवरड्राफ्ट की सुविधा ले सकते हैं। बीमा कवर के सम-एश्योर्ड के आधार पर ओवरड्राफ्ट की रकम तय की जाती है।
- कोई व्यक्ति अपने सावधि जमा (एफडी) पर भी ओवरड्राफ्ट ले सकता है। एफडी की कुल राशि का 75 प्रतिशत तक ओवरड्राफ्ट मिल सकता है। इस पर ब्याज भी कम लगता है। आमतौर पर बैंक एफडी पर मिल रहे ब्याज से दो प्रतिशत अधिक ब्याज लेते हैं।