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चमगादड़ों ने इस देश में ढाया कहर, मौत का तांडव देख CDC ने जारी की चेतावनी

वॉशिंगटन। दो सालों के बाद अमेरिका में पिछले साल चमगादड़ों की वजह से पांच लोगों की मौत हो गई। जिसकी वजह से वहां की प्रमुख चिकित्सा संस्थान सीडीसी ने चेतावनी जारी की है। ये मौते हुई थीं रैबीज (Rabies) की वजह से। जबकि अमेरिका में रैबीज बीमारी पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। यहां साल में 2 या 3 मामले ही सामने आते हैं। लेकिन मौतें नहीं होतीं। अब आप सोच रहे होंगे कि कुत्ते के काटने से रैबीज होता, फिर चमगादड़ यहां क्या कर रहा है? आइए जानते हैं कि ऐसा हुआ कैसे? रैबीज का चमगादड़ से क्या संबंध है?

सेंटर्स फॉर डिजीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के नई रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल जिन पांच लोगों की मौत रैबीज से हुई। उनमें से तीन की मौत पांच हफ्तों के अंदर हुई थी। जबकि इसके पहले दो सालों तक रैबीज का एक भी केस सामने नहीं आया था। सीडीसी के मुताबिक पिछले एक दशक में की तुलना में पिछले साल रैबीज से मौतों के सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे।

पांच हफ्तों के अंदर मारे गए तीन लोगों में से एक बच्चा भी था। जो चमगादड़ों से संक्रमित हुए थे। इनकी मौतें 28 सिंतबर से 3 नवंबर के बीच हुई थी। सीडीसी के अनुसार इन तीनों लोगों में संक्रमण के बाद या पहले लगने वाली वैक्सीन के बाद दिखने वाले पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफाइलेक्सिस (PEP) के लक्षण भी नहीं दिखाई दिए थे। लेकिन पिछले साल हुई मौतों के बाद सीडीसी ने पूरे देश के लिए चेतावनी और जागरूकता के लिए सूचनाएं जारी की।

रैबीज सिर्फ कुत्तों से ही नहीं फैलता। इसके लिए चमगादड़ भी जिम्मेदार हो सकते हैं। रैबीज फैलाने वाले चमगागड़ों को रैबिड बैट्स (Rabid Bats) कहते हैं। सीडीसी के मुताबिक साल 2007 से चमगादड़ों की वजह से रैबीज के मामले कम थे। 2019 और 2020 में तो एक भी मामला सामने नहीं आया था। लेकिन पिछले साल पांच मौतों ने सीडीसी के होश उड़ा दिए। सीडीसी का मानना है कि रैबीज को लेकर लोगों में जागरुकता की कमी की वजह से ऐसा हो रहा है।

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रैबीज (Rabies) एक ऐसे वायरस की वजह से होता है, जो आपके नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। यह रैबिड जानवरों के काटने या खरोंचने की वजह से फैलता है। रैबीज फैलाने वाले जानवरों में कुत्ते, लोमड़ियां, चमगादड़, रकून, स्कंक शामिल हैं। दुनियाभर में आमतौर पर रैबीज कुत्तों के काटने की वजह से होता है। अमेरिका में हर साल 60 हजार लोगों को रैबीज का वैक्सीन दिया जाता है, ताकि वो इस बीमारी से संक्रमित न हो या उनकी मौत न हो।

सीडीसी ने बताया कि PEP रैबीज से लगभग 100 फीसदी बचाव देता है। सीडीसी के हाई कॉन्सीक्वेंसेस पैथोजेंस एंड पैथोलॉजी के एक्सपर्ट रयान वॉलेस ने बताया कि अमेरका रैबीज से लगभग मुक्त है। हमने इस बारे में बहुत ज्यादा काम किया है। लेकिन आज भी ऐसे मामले तब सामने आते हैं, जब इंसान अनजाने में रैबीज फैलाने वाले जीवों के नजदीक पहुंच जाता है। या फिर उनके काटने या खरोंचने से संक्रमित हो जाता है। रयान वॉलेस ने बताया कि अमेरिका में रैबीज के जो भी मामले आते हैं, उनमें से 70 फीसदी चमगादड़ों की वजह से हुए संक्रमण से होते हैं। आमतौर पर उन्हीं लोगों को चमगादड़ों की वजह से रैबीज होता है, जो बिना किसी दस्ताने या खुले हाथों से चमगादड़ को उठा लेते हैं। ये लोग चमगादड़ों के सीडीसी के पास कई बार जांच के लिए भेजते हैं, कई बार नहीं भेजते हैं। अगर सभी लोग यह काम करें तो हम रैबीज को फैलने से रोक सकते हैं। यहां तक कि जो लेकर आएं हैं उनकी और उनके परिवार और आसपास के लोगों के जांच कर सकते हैं। या फिर उन्हें वैक्सीन दे सकते हैं।

सीडीसी ने चेतावनी दी है कि लोगों को चमगादड़ों से दूर रहना चाहिए। साथ ही अगर उन्हें कहीं कोई चमगादड़ दिखे तो तत्काल राज्य या स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को या फिर जानवर नियंत्रण सेंटर को फोन करके बताएं। खुद रैबीज फैलाने वाले जीवों को हाथ न लगाएं। न ही उनके पास जाने का प्रयास करें। अगर ऐसे जीवों ने उन्हें काट या खरोंच लिया तो आपको रैबीज होने की आशंका बढ़ जाती है।

रैबीज से बचने के लिए जरूरी है कि अपने पालतू जानवर यानी कुत्तों के खासतौर से डॉक्टरों के पास ले जाकर इंजेक्शन लगवाएं। हो सके तो खुद भी वैक्सीन लें। लोगों को रैबीज फैलाने वाले जीवों से दूर रहने के लिए कहिए। खुले और जंगली जीवों से दूर रहने का प्रयास कीजिए, क्योंकि इनसे खतरा हो सकता है। अगर कोई जीव अपने सामान्य से अलग व्यवहार कर रहा है तो उससे दूर रहिए। नजदीकी जीव नियंत्रण केंद्र को फोन कीजिए।

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