इटावा। कानपुर के बिकरू गांव में गत दो जुलाई की रात को क्षेत्राधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे का सहयोगी प्रवीण दुबे उर्फ बउआ दुबे इटावा के सिविल लाइन इलाके में एनकाउंटर में मारा गया था। पुलिस मुठभेड मे मारे जाने की जांच के लिए गुरूवार को न्यायिक आयोग की टीम ने घटना स्थल पर पहुंचकर जांच पड़ताल की ।
पुलिस प्रवक्ता ने यहाॅ बताया कि आज दोपहर में कानपुर शूटआउट की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी0 एस0 चौहान की अगुवाई में जांच आयोग के सदस्य एनकाउंटर साइट पर पहुंचे।
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उन्होंने बताया कि कानपुर के बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे के सहयोगी प्रवीण दुबे उर्फ बउआ दुबे इटावा के कचैरा घाट रोड पर विक्रमपुर गांव के पास गत नौ जुलाई को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इसकी जांच के लिए न्यायिक आयोग की टीम घटना स्थल पर पहुंची । उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित आयोग ने घटना स्थल पर करीब आधे घंटे का समय बिताया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर समेत मुठभेड़ में शामिल एसओजी प्रभारी सतेंद्र यादव व थानाध्यक्ष सिविल लाइन जेपी सिंह से कई सवाल किए। घटना स्थल पर पुलिस ने क्राइम सीन भी क्रिएट किया था।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश बी0 एस0 चौहान, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश शशिकांत अग्रवाल, पूर्व डीजीपी के0 एल0 गुप्ता ने मुठभेड़ स्थल पर कैसे चली गोली इसके बारे में सिलसिलेवार पूछा। आयोग ने पूछा कि महेवा में लूट की घटना करके भाग रहे थे तो कैसे उन्हें यहां पर घेरा गया। सवाल यह भी उठा कि एक बदमाश बउआ दुबे मारा गया तो बाकी के तीन कहां गए। क्या उनमें से कोई पकड़ा गया, उनकी कोई पहचान हुई, इस पर एसओजी प्रभारी सतेंद्र यादव ने बताया कि उनकी अब तक कोई पहचान नहीं हो सकी है। उन्होंने पूछा क्या बदमाशों की कोई हिस्ट्री भी थी, जिस पर पुलिस ने बताया कि बउआ दुबे पर 50 हजार का इनाम घोषित था और बिकरू कांड में नामजद किया गया था।
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आयोग की टीम ने पूछा कि पुलिस को यह कैसे जानकारी मिली कि बउआ दुबे विकास दुबे का साथी है। इस पर पुलिस ने उन्हें बताया कि महेवा में नौ जुलाई की रात दो बजकर 45 मिनट पर एक कार में जा रहे झारखंड के परिवार के साथ लूट की सूचना मिली थी। इस पर वायरलैस से सूचना होने पर कि बदमाश दो कारों में हैं और कचैराघाट मार्ग से भाग रहे हैं, इस पर बदमाशों को एसओजी प्रभारी सतेंद्र यादव व एसओ सिविल लाइन जेपी सिंह ने घेरा था। बदमाशों ने पुलिस पार्टी पर फायर किया था जिसमें एक फायर एसओजी प्रभारी सतेंद्र यादव की बुलट प्रूफ जैकेट पर लगा था। इसके बाद जवाबी कार्रवाई में बउआ दुबे को चार गोली नौ एमएम पिस्टल से मारी गईं, जिसमें वह घायल हो गया और अस्पताल में मृत घोषित किया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने उन्हें बताया कि इंस्पेक्टर जे0 पी0 सिंह कानपुर देहात में तैनात रहे हैं। इसलिए वे विकास दुबे के गुर्गों के बारे में जानकारी रखते थे। उन्होंने पहचान की और चौबेपुर थाना से आई पुलिस टीम ने बउआ दुबे की शिनाख्त की थी। पुलिस ने यह भी बताया कि एक कार में बउआ दुबे व उसका साथी था जो सामने मंदिर की ओर भाग गया, जबकि दूसरी कार में दो साथी थे जो सीधे सड़क से आगे निकल गए।
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उन्हाेंने बताया कि उसके अन्य साथी भागने में सफल रहे। उस पर 50 हजार रुपए का इनाम था । मौके से एक पिस्टल, एक दुनाली बंदूक 12 बोर और कारतूस बरामद किए गए थे ।
आयोग की जांच पड़ताल के दौरान एसएसपी आकाश तोमर, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ओमवीर सिंह, पुलिस अधीक्षक नगर डाॅ0रामयश सिंह, पुलिस उपाधीक्षक एस.एन.वैभव पांडे, उपजिलाधिकारी सिदार्थ, प्रभारी निरीक्षक सिविल लाइन जितेंद्र प्रताप सिंह क्राइम ब्रांच के समस्त टीम मौजूद थी।