नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में आईसीएमआर ने बड़ी राहत की खबर दी है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी या क्षय रोग) से बचाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बीसीजी वैक्सीन अब कोरोना वायरस के खिलाफ भी असरदार साबित हो सकती है। बुजुर्गों में इसका ज्यादा असर देखने को मिल सकता है। इसकी पुष्टि आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने की है।
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वैज्ञानिक बीसीजी वैक्सीनेशन के असर को लेकर टी सेल्स, बी सेल्स, श्वेत रक्त कोशिका और डेंड्रीटिक सेल प्रतिरक्षा की आवृत्तियों पर लगातार जांच कर रहे हैं। इसके अलावा किसी स्वस्थ बुजुर्ग, जिसकी आयु 60-80 साल के बीच हो, इनके पूरे एंटीबॉडी स्तर को भी देख रहे हैं। 60 साल से ज्यादा उम्र या फिर कोमोरबिडीटीज जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित बुजुर्गों में कोरोना वायरस के घातक होने का ज्यादा खतरा बना रहता है। शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि बीसीजी वैक्सीनेशन बढ़ा हुआ जन्मजात और मेमोरी सेल सबसेट से जुड़ा हुआ है।
बीसीजी वैक्सीन नवजात शिशुओं को केंद्र सरकार के सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत लगाया जाता है। इसे 50 साल पहले लॉन्च किया गया था। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक बयान में कहा कि शोध के दौरान, संस्थान के वैज्ञानिकों ने पाया कि बीसीजी वैक्सीन मेमोरी सेल्स प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करता है और बुजुर्गों में कुल एंटीबॉडी बनाता है।
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जुलाई से लेकर सितंबर तक, शोध में 86 लोगों को शामिल किया गया है, जिसमें 54 को वैक्सीन दी गई और 32 को नहीं दी गई। टीकाकरण के एक महीने बाद सभी सभी टीकाकरण वाले व्यक्ति यों का आकलन किया गया। बीसीजी वैक्सीनेशन समूह में मध्य उम्र 65 साल थी और जिन्हें वैक्सीन नहीं दी गई, उस समूह में 63 साल मध्य उम्र थी।
बीसीजी वैक्सीन के परिणाम को जानने के लिए कई क्लिनिकल परीक्षण अभी जारी हैं। इससे पहले किए गए शोध में बताया गया है कि इंडोनेशिया, जापान और यूरोप में बीसीजी वैक्सीनेशन ने श्वसन संबंधी बीमारियों से बुजुर्गों की सुरक्षा की है।