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रक्षाबंधन पर पंचक और भद्रा का रहेगा प्रभाव, जानें किस मुहूर्त में बांधे राखी

Raksha Bandhan

Raksha Bandhan

शनि देव की बहन भद्रा का स्वभाव रुद्र और उग्र है। त्योहारों पर उनकी उपस्थिति अशुभ मानी गई है। रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के लिए दोपहर का समय अधिक उपयुक्त माना गया है। अगर भाद्र की वजह से दोपहर के समय में शुभ मुहूर्त नहीं है। तो ऐसे में पहले राखी भगवान श्री कृष्ण के समक्ष दीपक जलाकर प्रदोष काल में बांधी जा सकती है।

बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ सतीश सोनी के अनुसार 30 अगस्त दिन बुधवार को भद्रा का उदय सुबह 10:59 पर होगा। एवं भद्रा अस्त रात्रि 9:02 पर होगी। इस दिन चंद्रमा प्रांत 9:57 पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। अर्थात भद्रा के उदय कल समय में चंद्रमा के कुंभ राशि में स्थित होने से भद्रा का बास मृत्यु लोक में रहेगा। अतः रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) भद्रा के उदय से पूर्व अथवा भद्रा के मुख्य कल की पांच घाटी यानी 2 घंटे व्यतीत होने के उपरांत शुभ चौघड़िया में मनाना श्रेय कारक रहेगा। इस दिन दोपहर 12:20 से 1:54 तक राहुकाल रहेगा। वहीं प्रातः 10-14 से पंचक प्रारंभ हो जाएंगे।

 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त प्रातः 6:00 से 9:00 तक भद्रा एवं पंचक से पूर्व वही दोपहर 3:30 से 6:30 मिनट तक भद्रा के मुख्य काल की पांच घटी पश्चात तथा एवं शुभ श्रेष्ठ कारक मुहूर्त शाम 5:00 से 6:30 तक प्रदोष काल में, रक्षाबंधन भद्रा पुंछ शाम 5:30 से 6:30 तक, वहीं भद्रा मुख् शाम 6:31 से 8 11 तक, सर्वोत्तम अमृत मुहूर्त रात 9:34 से रात 10:58 तक राखी बांधना शुभ रहेगा। इसके लिए पहले भगवान श्री कृष्ण के समक्ष दीप जलाकर प्रार्थना करें उसके उपरांत प्रदोष काल में राखी बांधे।

या फिर भद्रा पूर्णता समाप्ति के बाद यानी रात 9:00 बजे के बाद से लेकर 31 अगस्त सुबह 7:01 तक राखी बांधी जा सकेगी।

राखी बांधते समय तीन गांठें का रखें ध्यान

माना जाता है कि राखी बांधते समय बहन को अपने भाई की कलाई पर तीन गांठें बांधना चाहिए। तीन गांठें लगाने का अपना अलग धार्मिक महत्व है। मान्यता है।कि तीन गांठें का महत्व तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश से है। और यह उन्हें समर्पित भी है, ऐसे में पहली गांठ भाई की उम्र के लिए, दूसरी गांठ खुद की उम्र के लिए और तीसरी और अंतिम गांठ भाई बहन के बीच प्यार भरे रिश्ते के लिए है।

रक्षा सूत्र बांधने का वैज्ञानिक महत्व

रक्षा सूत्र को चिकित्सा महत्व से अगर देखा जाए तो यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है। वहीं भविष्य पुराण में कहा गया है। कि इस समय अच्छा रक्षा सूत्र धारण करने से वर्ष भर रोगों से रक्षा होती है। तथा नकारात्मक और दुर्भाग्य दूर होता है। रक्षा सूत्र बहने अपने भाई की कलाई पर गुरु अपने शिष्य को वहीं पत्नी अपने पति को भी रक्षा सूत्र बनती हैं।

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