हिंदू धर्म में किसी भी मास के शुक्लपक्ष की पंद्रहवीं तिथि पूर्णिमा कहलाती है, जिसका बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है. जिस दिन भगवान श्री विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देवता की पूजा करने पर विशेष पुण्यफल प्राप्त होता है.
पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima) तिथि 28 सितंबर 2023 को सायंकाल 06:49 बजे प्रारंभ हो कर 29 सितंबर 2023 को दोपहर 03:26 बजे समाप्त होगी. चूंकि पूर्णिमा की पूजा रात्रि में चंद्रोदय के बाद की जाती है, इसलिए यह 28 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी. आइए भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima ) की पूजा की विधि और इससे जुड़े सरल एवं सनातनी उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं.
भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima ) व्रत की पूजा विधि
भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima ) पर भगवान श्रीहरि के साथ माता लक्ष्मी की पूजा और उनके लिए व्रत रखने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि भादों पूर्णिमा पर विधि-विधान से पूजा और व्रत करने पर व्यक्ति को अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है. हिंदू मान्यता के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा का पुण्यफल पाने के लिए व्यक्ति को इस पावन पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. यदि संभव हो तो किसी जल तीर्थ पर जाकर विशेष रूप से स्नान करना चाहिए. भाद्रपद पूर्णिमा पर गंगा स्नान का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.
स्नान-ध्यान के बाद व्यक्ति को अपने घर के पूजा घर अथवा ईशान कोण में भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा या चित्र को रखकर उनकी पुष्प, चंदन, धूप, दीप फल, मिष्ठान, पंचामृत आदि अर्पित करके विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इसके पश्चात् सत्यनारायण भगवान की कथा को कहना या सुनना चाहिए. भगवान सत्यनारायण की पूजा करने के बाद श्रीहरि और माता लक्ष्मी की आरती जरूर करें और उसके बाद सभी को पंजीरी और पंचामृत का प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.
भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima ) का महाउपाय
भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima ) के दिन व्यक्ति को किसी जल तीर्थ पर जाकर स्नान और उसके बाद जरूरतमंद व्यक्ति या फिर किसी मंदिर के पुजारी को अपने सामर्थ्य का दान करें. जिन लोगों को वैवाहिक सुख की कामना है, उन्हें अपने जीवनसाथी के साथ शाम को चंद्रमा को अर्ध्य जरूर देना चाहिए.
पंचांग के अनुसार इस दिन चंद्रोदय सायंकाल 06:18 बजे होगा और लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त रात्रि 11:18 बजे से प्रारंभ होगा. वहीं स्नान-दान और भगवान सत्यनारायण के लिए प्रात:काल सूर्योदय के बाद से लेकर प्रात:काल 10:42 बजे का समय उत्तम रहेगा.