त्योहारों का देश माने जाने वाले भारत में भाई-बहन के प्रेम व पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन और भैया दूज (Bhai Dooj) दो महत्वपूर्ण त्योहार है। दोनों ही त्योहारों में भाई और बहन एक-दूसरे के प्रति परंपरागत तरीके से स्नेह प्रकट करते हैं। भैया दूज भाई-बहन के अटूट और अनन्य प्रेम का प्रतीक पर्व है। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज मनाया जाता है।
भाई दूज (Bhai Dooj) को यम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं। कहते हैं कि इस दिन यमराज की पूजा करने भाई-बहनों के पाप कट जाते हैं। बहनें अपने भाई को अकाल मृत्यु के भय से बचाने के लिए यम देवता की पूजा करती हैं। मान्यता है कि पहली बार बहन यमुना ने द्वितीया के दिन अपने दर आए भाई यमराज का तिलक लगाकर स्वागत किया था। तब से इस दिन को भाई दूज (Bhai Dooj) के रूप में मनाया जाने लगा।
भाई दूज (Bhai Dooj) डेट- 3 नवंबर, 2024
मुहूर्त
द्वितीया तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 02, 2024 को 08:21 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – नवम्बर 03, 2024 को 10:05 पी एम बजे
भाई दूज (Bhai Dooj) अपराह्न समय – 01:10 पी एम से 03:22 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 12 मिनट्स
इस पावन पर्व के दिन बहनें घर के मुख्य द्वार पर गोधन का चौका बनाती हैं। उस चौके के अंदर भाइयों के दुश्मनों के प्रतीक स्वरूप गोबर से यम या मेरुदंड, मुसल, सर्प- बिच्छू आदि बनाए जाते हैं। कुछ देर बाद आसपास की सभी बहने और महिलाएं चौक के पास बैठ कर चीनी से बनी मिठाइयों, चूरा, गट्टा आदि चढ़ाती है। फिर उसमें नारियल, पान व सुपारी आदि रखकर उसे मूसल से बहनें कूटती हैं।
उसके बाद भाइयों की लंबी आयु की कामना करते हुए कुश-सरपट सहित अन्य को छोटे-छोटे टुकड़े करती हैं। इस कार्य को करते वक्त मौन रहा जाता जाता है और भाई के लिए मंगल कामना की जाती है। इस तरह पूजा में शामिल सभी महिलाएं व युवतियां एक-दूसरे से पूछती हैं कि वह क्या कर रही हैं । वह कहती हैं कि भाइयों की आयु जोड़ रही हैं। यही नहीं पूजा के दौरान बहनें अपने भाइयों को श्राप भी देती हैं। इसके बाद भाइयों की लंबी उम्र की दुआएं करती हैं। इस दौरान कई सारे लोकगीतों की झंकार भी सुनने को मिलती है।