प्राचीन व ऎतिहासिक शिव मंदिर मनकामेश्वर मठ की श्री महन्त देव्यागिरि जी मन्दिर से जुड़े भक्तो व श्रद्धालुओ संग कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को बहन-भाई के प्रेम के प्रतीक महान पर्व “भैय्या- दूज” पर पूजन कर सभी भाइयो बहनो की कुशलता व कलम पूजन कर, चित्र गुप्त जी का मंगल पूजन कर, मनकामेश्वर बाबा से प्रार्थना की इस पुनीत अवसर पर इस पर्व की महिमा को बताते हुए श्री महन्त ने कहा, यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी।
कार्तिक शुक्ल पक्ष को यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है।
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यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।
यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहा।
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इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी हुई ऐसी मान्यता है कि जो भाई आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को सभी लोग यमराज तथा यमुना का पूजन कर इस प्रेम के प्रतीक पर्व को साकार करते है।
पूजन में जिन भाई बहनों ने सहभागिता की वे अश्वल मिश्रा, अमन शुक्ला, विजय मिश्रा, आशु जायसवाल, शिव मुकेश अग्रहरि,मिंटू, अंकुर पांडेय बहनों में नीतू निषाद, गौरजा गिरि,अंशिका कल्याणी, नीतू अग्रहरि,आदि।