नयी दिल्ली। भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने मंगलवार को भारत बायोटेक द्वारा तैयार, नाक से दिए जाने वाले इंट्रानेजल कोविड टीके (Intranasal Vaccine) का 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर सीमित आपात इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट किया, भारत की कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। भारत बायोटेक के सीएचएडी36- सार्स-कोव-एसकोविड-19 (चिम्पैंजी एडिनोवायरस वेक्टर्ड) नेजल टीके (Intranasal Vaccine) को आपात स्थिति में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण में इस्तेमाल की मंजूरी भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दी है। उन्होंने कहा कि इस कदम से महामारी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई को और मजबूती मिलेगी।
मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपने देश के विज्ञान, अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) का उपयोग किया है। उन्होंने कहा, विज्ञान आधारित रुख और सबके प्रयास से हम कोविड-19 को हरा देंगे।
कंपनी के सूत्रों ने बताया कि हैदराबाद की कंपनी ने करीब 4000 स्वयंसेवकों पर इंट्रानेजल टीके (नाक के जरिये लिए जाने वाले टीके) का क्लीनिकल परीक्षण किया है और किसी में दुष्प्रभाव या विपरीत प्रतिक्रिया नहीं देखी गई है। उल्लेखनीय है कि कंपनी ने अगस्त महीने में बताया था कि कोविड-19 इंट्रानेजल टीका (बीबीवी154) तीसरे चरण के नियंत्रित चिकित्सकीय परीक्षण में सुरक्षित, वहनीय और प्रतिरोधी क्षमता से युक्त साबित हुआ है। टीका निर्माता ने बताया कि बीबीवी154 को विशेष तौर पर नाक के रास्ते देने के लिए तैयार किया गया है। कंपनी ने कहा कि इसके साथ ही नाक से टीका (Intranasal Vaccine) देने की प्रणाली को इस तरह से डिजाइन व विकसित किया गया है जिससे यह निम्न व मध्य आय वाले देशों के लिए किफायती हो। कंपनी ने कहा, इंट्रानेजल टीका, बीबीआई154 श्वांस मार्ग के ऊपरी हिस्से में एंटीबॉडी पैदा करता है, जिससे कोविड-19 के संक्रमित करने और प्रसार करने की संभावित क्षमता कम करने में मदद मिलती है। इस दिशा में और अध्ययन की योजना बनाई गई है।
गौरतलब है कि बीबीवी154 की प्राथमिक खुराक (शुरुआती दो खुराक) के तौर पर प्रभाव और कोविड-19 के अन्य टीके (कोविशील्ड या कोवैक्सीन) की दो शुरुआती खुराक लेने वालों को तीसरी खुराक के तौर पर बीबीवी154 देने पर होने वाले असर का आकलन करने के लिए दो अलग-अलग और साथ-साथ क्लीनिकल परीक्षण किए गए।
डीसीजीआई ने अलग से कंपनी को कोवैक्सीन के साथ बीबीवी154 (इंट्रानेजल)की प्रतिरोधक क्षमता और सुरक्षा की तुलना करने के लिए तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण करने की भी अनुमति दी थी। यह परीक्षण नौ स्थानों पर करने की अनुमति दी गई थी।