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भौम प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा-विधि एवं महत्व

Pradosh Vrat

Pradosh Vrat

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का पर्व देवों के देव महादेव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। इस व्रत को हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़त है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। फाल्गुन माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। इस समय फाल्गुन माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 11 मार्च को है। आइए जानते हैं, प्रदोष व्रत की पूजा-विधि से लेकर सबकुछ….

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का महत्व

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है। इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

शिवजी को ये चीजें लगाएं भोग

महादेव को हलवा, दही और खीर समेत आदि चीजों का भोग लगाना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) के दिन इन शुभ कामों को करने से व्यक्ति को करियर में आ रही समस्या से जल्द छुटकारा मिलता है। साथ ही लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पूजा का प्रदोष काल- 06:27 पी एम से 08:53 पी एम तक, अवधि- 02 घण्टे 25 मिनट

पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। स्नान करने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र पहन लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें। शिवलिंग पर दूध, दही, घी, गंगाजल और शहद चढ़ाएं। अब भोलेनाथ को बेलपत्र, मदार का फूल, भांग और धतूरा अर्पित करें। इसके बाद शिव-गौरी की विधिवत पूजा करें। शिव मंत्रों का जाप करें। शिव-गौरी समेत सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें।

शिव पूजा सामग्री की लिस्ट :

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

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