सुलतानपुर। उत्तर-प्रदेश के सुलतानपुर जिले में कोरोना किट गड़बड़ी मामले की शुरुआती जांच में जिला पंचायतराज अधिकारी निलंबित कर दिए गए जिसके बाद कोरोना किट खरीदारी में जुड़े रहे अन्य लोगों में बेचैनी का आलम है।
अधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि कोरोना किट की खरीद मामले में देर शाम दो जिलों के डीपीआरओ को सस्पेंड करके स्वीकार कर लिया कि कोरोना किट में अफसरों ने बड़ा घोटाला किया है। फिलहाल शुरुआती चरण में सुलतानपुर व गाजीपुर जिलों के पंचायतराज अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इससे कोरोना किट की खरीददारी से जुड़े अन्य कर्मचारियों व अधिकारों में हड़कंप मचा गया हैं।
युवती को धोखे से शराब पिलाकर किया रेप, बर्थ-डे पार्टी के बहाने आरोपियों ने बुलाया था घर
ज्ञातव्य है कि भारतीय जनता पार्टी के सुलतानपुर जिले की लंभुआ सीट से विधायक देवमणि द्विवेदी ने गत सप्ताह मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 2800 रुपये की कोरोना किट 9950 रुपये में खरीदकर सुलतानपुर जिले में बड़े घोटाले का आरोप सुलतानपुर के जिलाधिकारी पर लगाया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने त्वरित कार्यवाही करते हुए पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव को जांच का आदेश देकर आख्या तलब कर ली।
मामले ने तूल पकड़ा ही था कि आम आदमी के उत्तर प्रदेश प्रभारी व सांसद संजय सिंह ने यह कहकर राजनीतिक व सरकारी हल्के में भूचाल ला दिया कि सिर्फ सुलतानपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी अधिकारियों ने कोरोना किट (ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर आदि) की खरीद में शासनादेश का उल्लंघन करते हुए जमकर पैसे की बंदरबांट की है। सांसद ने प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर दी।
संजय राउत ने बोला ‘हरामखोर लड़की’, तो कंगना के पिता का आया ये बयान
इस मामले से योगी सरकार की छवि को खराब होते देखकर अफसरों ने जांच में तेजी दिखाते हुए इस घोटाले में शामिल बड़े अधिकारियों को बचाते हुए जांच आख्या के अनुरूप सोमवार की शाम पंचायतीराज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने माना कि घोटाला हुआ है। इसके लिए उन्होंने सुलतानपुर व गाजीपुर जिलों के डीपीआरओ (जिला पंचायतराज अधिकारी) क्रमशः कृष्ण कुमार सिंह व अनिल सिंह को प्रथमदृष्ट्या दोषी माना। दोनों को निलम्बित करने के बाद संभागीय उपनिदेशकों के कार्यालय में संबद्ध करते हुए आगे की जांच के लिए अधिकारियों को नामित करने की औपचारिकता पूरी कर दी गई है।
वहीं इस घोटाले में सीधे तौर पर भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी व सांसद संजय सिंह ने जिलों के डीएम स्तर के अधिकारियों को आरोपित किया है। इससे लगता है कि विपक्षी दलों के बढ़ते दबाव से उबरने के लिए छोटे अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया हैं।