रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) को आर्थिक जरूरतों के आधार पर पर्सन -टू- मर्चेंट को किए जाने वाले UPI पेमेंट्स के लिए ट्रांजैक्शन लिमिट को बदलने की इजाजत दे दी है। बता दें, कि 7 से 9 अप्रैल तक चली रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस फैसले की जानकारी दी है। 7 से 9 अप्रैल तक चली रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक के बाद RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस फैसले की जानकारी दी।
RBI ने NPCI को दिया अधिकार
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि अब पर्सन टू मर्चेंट पेमेंट की लिमिट तय करने का अधिकार NPCI को दिया जाएगा। उन्होंने इस पर अधिक जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल ये लिमिट 2 लाख रुपए है, लेकिन आने वाले समय में इसमें बदलाव आना संभव है। इसपर मल्होत्रा ने बताया कि पर्सन टू पर्सन UPI लेनदेन की सीमा 1 लाख रुपए तक ही होगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
रेपो रेट में कटौती
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसपर बताया कि MPC ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट 0.25 प्रतिशत की कटौती का फैसला लिया है। इस कटौती के बाद अब पॉलिसी रेट 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत हो गई है।
EMI होगी कम, RBI ने रेपो रेट में लगातार की दूसरी बार कटौती
बता दें, कि इससे पहले भी आरबीआई ने पिछली बैठक में रेपो रेट में कटौती की थी, एक तरह से कहे तो यह कटौती दूसरी बार है। इससे होम लोन समेत कई तरह के लोन की ब्याज दरों में राहत मिल सकती है।
ग्रोथ और महंगाई का अनुमान
संजय मल्होत्रा ने आगे बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ 6।5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं, खुदरा महंगाई दर CPI 4 प्रतिशत के आस-पास रहने की संभावना जताई जा रही है। इसपर गवर्नर ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी का फोकस ग्रोथ को बनाए रखते हुए महंगाई को कंट्रोल में रखना होगा।