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सितंबर 2023 तक आ सकता है बड़ा कोयला संकट: ऊर्जा मंत्रालय

coal crisis

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लखनऊ। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी राज्य उत्पादन निगमों के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा कि सितंबर 2023 तक बड़ा कोयला संकट (Coal Crisis) आ सकता है। इसलिए सभी राज्य छह प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदें अन्यथा उनके आवंटित घरेलू कोयले में कटौती की जाएगी।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ऊर्जा मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश के बाद उपभोक्ता परिषद ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला और इसे उपभोक्ताओं के साथ बड़ी नाइंसाफी बताया।

उन्होंने कहा कि राज्य में चाहे वह बिजली दरों में भारी बढोतरी का मामला हो स्मार्ट प्रीपेड मीटर को ऊंची दरों पर खरीद का मामला हो या फिर अब विदेशी कोयले की खरीद के लिए दबाव बनाने का मामला सभी योजनाएं उपभोक्ता विरोधी है।

श्री वर्मा ने कहा कि प्रदेश में जहां भारी बिजली दर बढोतरी प्रस्तावित की गई अभी मामला विचाराधीन है वही अब केंद्र सरकार ने भी प्रदेश के उपभोक्ताओं पर बडा भार डलवाने की साजिश में जुट गया है अभी पूरे देश में कहीं भी कोयले का संकट (Coal Crisis)  सामने नहीं आया, लेकिन केंद्र सरकार ऊर्जा मंत्रालय ने देश के सभी ऊर्जा उत्पादन निगमों और सरकारों के लिए यह निर्देश जारी कर दिया की 30 सितंबर 2023 तक देश में बड़ा कोयला संकट (Coal Crisis) सामने आने वाला है जिसका प्रभाव यह होगा की देश में प्रतिदिन एक से तीन लाख टन की कमी हो सकती है इसलिए सभी राज्य अपनी कुल आवश्यकता का छह प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने की कार्यवाही शुरू कर दें और जो राज्य विदेशी कोयला नहीं खरीद करेगा उसका आवंटित घरेलू कोयले में कटौती कर दी जाएगी।

श्री वर्मा ने कहा केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्ष जिस प्रकार से विदेशी कोयला खरीदवाने के लिए उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगम पर दबाव डाल जा रहा था उसी तर्ज पर इस बार जनवरी के महीने से ही विदेशी कोयला खरीद कराने में दबाव डालने पर जुट गया है। प्रदेश के उपभोक्ताओं को पूरी उम्मीद है जिस प्रकार से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व वर्ष में विदेशी कोयला खरीदने से मना कर दिया था । इस वर्ष भी उपभोक्ताओं के हित में मुख्यमंत्री निर्णय लेंगे वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद भी महंगी दरों पर खरीदने का दबाव लगातार ऊर्जा मंत्रालय डाल रहा है उन्होंने कहाक सभी को पता है कि इसमें सबसे ज्यादा देश के निजी घरानों का लाभ होगा केंद्र सरकार को क्यों नहीं समझ में आ रहा है कि 6000 रुपए ऐस्टीमेटेड कॉस्ट वाला स्मार्ट प्रीपेड मीटर राज्य कैसे 10000 रुपए प्रति मीटर की दर पर खरीद करेंगे। कुल मिलाकर इसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों पर ही पडेगा वहीं दूसरी ओर प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होने वाले नोएडा क्षेत्र के लिए भी वितरण लाइसेंस कि याचिका का विद्युत नियामक आयोग में लगाया और अंतत उस पर नियामक आयोग ने विधिक सवाल खडा कर दिया सब मिलाकर चारों तरफ से ऐसी योजनाएं राज्यों पर थोपी जा रही है जिससे प्रदेश के उपभोक्ता तबाह हो जाएंगे ।

उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि वह पूरे मामले पर हस्तक्षेप करें अन्यथा की स्थिति में पावर सेक्टर तबाह हो जाएगा और उपभोक्ता लालटेन युग में जाने के लिए विवश होंगे। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय जिस प्रकार से चाहे वह विदेशी कोयले का मामला हो, चाहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर कोंचिता ऊपर खरीद कराने का मामला हो, चाहे वह निजी करण के लिए नवंबर 2022 में जारी किए गई अधिसूचना का मामला हो। इससे उनकी मंशा स्पष्ट नजर आती है कि इससे सबसे ज्यादा लाभ देश के निजी घरानों का होगा ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को इस पूरी सभी योजनाओं का विरोध करना चाहिए।

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