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कांग्रेस का बड़ा फैसला : राज्यसभा में नेता विपक्ष होंगे मल्लिकार्जुन खड़गे

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने अब राज्यसभा में 78 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा में नेता विपक्ष बनाने का फैसला लिया है। कांग्रेस ने राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू को पत्र भेजकर इस संबंध में जानकारी दे दी है। मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी वरिष्ठ नेता और सांसद गुलाम नबी आजाद की जगह लेंगे।

मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस पार्टी के नेता हैं और कर्नाटक से राज्यसभा सांसद हैं। केंद्र सरकार में पूर्व रेल मंत्री और श्रम और रोजगार मंत्री रह चुके खड़गे ने वकालत की पढ़ाई की। खड़गे 2009-2019 के दौरान कर्नाटक के गुलबर्गा क्षेत्र से सांसद थे। खडगे संसद में हुई कई बहसों में हिस्सा ले चुके हैं। कर्नाटक में पले-बढ़े खड़गे ने वकालत की पढाई की, मजदूर संघ के लोगों के लिए कई मुकदमे लड़े। पहले छात्र नेता बनकर उभरे और फिर कांग्रेस पार्टी में अपनी जगह बना ली।

जानें अब तक का राजनीतिक सफर

खड़गे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र संघ नेता के रूप में की थी, पहले कर्नाटक के गुलबर्गा शहर के गवर्नमेंट कॉलेज में उन्हें छात्रों के महासचिव के रूप में चुना गया। 1969 में, वह MSK मिल्स एम्प्लाइज यूनियन के कानूनी सलाहकार बन गए। वे संयुक्ता मजदूर संघ के एक प्रभावशाली श्रमिक संघ नेता भी थे और उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कई आंदोलन का नेतृत्व किया। 1969 में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और गुलबर्गा शहर कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने।

मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले में हुआ था। उन्होंने गुलबर्गा में नूतन विद्यालय से स्कूली शिक्षा पूरी की, उसके बाद गुलबर्गा के सेठ शंकरलाल लाहोटी के सरकारी लॉ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

इसके बाद उन्होंने न्यायमूर्ति शिवराज पाटिल के कार्यालय में एक जूनियर वकील के रूप में अपनी कानूनी प्रेक्टिस शुरू की और अपने कानूनी करियर की शुरुआत में श्रमिक संघों के लिए मुकदमे भी लड़े।

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2014 के आम चुनावों में, खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत गए, उन्होंने भाजपा से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 73,000 मतों से हराया। जून में, उन्हें लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में नियुक्त किया गया था।

उन्होंने पहली बार 1972 में कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव लड़ा और गुरमीतलाल निर्वाचन क्षेत्र से जीते। 1973 में, उन्हें ऑक्ट्रोई उन्मूलन समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। 1974 में, उन्हें राज्य के स्वामित्व वाले चमड़ा विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

1978 में, वह गुरमीतलाल निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार विधायक के रूप में चुने गए और उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायतीराज राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। 1980 में, वह गुंडू राव मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री बने।

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