उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में हुए सनसनीखेज शूटआउट मामले में मंगलवार को बड़ा खुलासा सामने आया है। चित्रकूट जेल शूटआउट मामले में जुटी जांच समिति के पास कुछ अहम जानकारियां आई है।
सूत्रों से खुलासा हुआ है कि चित्रकूट जेल में जब अंशु दीक्षित ने मेराज और मुकीम की हत्या के बाद 5 बंदियों को बंधक बनाया था तो एक जेल वार्डर जगमोहन, अंशु से बातचीत कर सरेंडर करने को कह रहा था। यह वहीं जेल वार्डर जगमोहन है जो बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के समय भी मौजूद था।
मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद ही जगमोहन का तबादला बागपत जेल से चित्रकूट जेल हुआ था।
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अब यह महज इत्तेफाक है या कोई बड़ी साजिश इसकी जांच में पुलिस और एजेंसियां जुटी हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक 6 मई को जगमोहन कोरोना पॉजिटिव हुआ था और उसको आइसोलेशन में रहने की हिदायत दी गई थी। बावजूद इसके 13 मई की शाम को चित्रकूट जेल में देखा गया था और 14 मई को शूटआउट के बाद जब अंशु दीक्षित को घेरा जा रहा था तो उस वक्त भी जगमोहन वहां पर मौजूद था।
बागपत जेल में भी सबसे बड़ा सवाल यही था कि सुनील राठी के पास पिस्टल कैसे पहुंची और अब चित्रकूट जेल शूटआउट में भी सबसे बड़ा सवाल यही है। इन दोनों सवालों और शूटआउट में एक ही चीज कॉमन है। और वह है जगमोहन लिहाजा एजेंसियों ने जगमोहन से पूछताछ शुरू कर दी है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि मेराज और मुकीम को गोली मारने के बाद अंशु किसी से फोन पर बात कर रहा था।
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अंशु को यह फोन किसने मुहैया कराया जांच एजेंसियां इसका पता लगाने में भी जुट गई है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक मेराज को एक गोली उसके सिर और दूसरी पीठ से दाखिल होकर पेट से निकल गई थी। वहीं जेल सूत्रों के मुताबिक गोली मारने से पहले अंशु ने मेराज को गालियां दी और भागने को कहा। मेराज के भागने पर अंशु ने फायरिंग शुरू कर दी थी। दो गोलियां मेराज को लगी और वह मौके पर ही ढेर हो गया था।