लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के सरकारी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में संविदा पर तैनात कर्मचारियों (contract workers) को बड़ी राहत दी है। अदालत ने राज्य सरकार द्वारा जारी किये गये उनके सेवा समाप्ति के आदेशों को निरस्त कर दिया है।
अदालत ने अक्टूबर 2020 से विभिन्न तिथियों पर जारी इन आदेशों को मनमाना करार दिया है। यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने विभिन्न संविदाकर्मियों की ओर से दाखिल कुल सात याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया।
याचिकाओं में कहा गया कि 27 अक्टूबर 2017 को राज्य सरकार ने एक शासनादेश जारी किया जिसके तहत सरकारी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में पैरा मेडिकल स्टाफ व नॉन पैरा मेडिकल स्टाफ के पदों को संविदा के जरिये भरे जाने का निर्णय लिया गया। इस क्रम में 15 दिसम्बर 2017 को विज्ञापन भी जारी किया गया।
इसके बाद याचियों ने आवेदन किया व चयनित होने के पश्चात नियुक्ति प्राप्त की। 26 मार्च 2019 को एक वीडियो कांँफ्रेंस मीटिंग आयुष विभाग के सचिव की अध्यक्षता में रखी गयी। उक्त मीटिंग में सभी संविदाकर्मियों को उनकी सेवा अवधि समाप्त होने पर कार्यमुक्त करने का निर्देश दिया गया।
हालांकि आवश्यकता को देखते हुए, 6 जुलाई 2019 को पुन: याचियों की संविदाओं का नवीनीकरण कर दिया गया। पर, इस बार उनके संविदाओं की अवधि समाप्त होने पर अक्टूबर 2020 से अलग-अलग तिथियों पर आदेश जारी करते हुए उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया।