उत्तर प्रदेश की घोसी लोकसभा सीट से सांसद अतुल राय को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सांसद के खिलाफ वाराणसी के लंका थाने में रेप की शिकायत दर्ज कराने वाली युवती समेत दो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एसपी यादव की अदालत ने यह आदेश सांसद अतुल राय के भाई पवन सिंह की ओर से दिए गए आवेदन पर सुनवाई के बाद दिया।
वाराणसी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में वादी की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव, विकास यादव और मनीष राय ने पक्ष रखा था। प्रकरण के अनुसार गाजीपुर जनपद के वीरपुर (भांवरकोल) निवासी सांसद अतुल राय के भाई पवन कुमार सिंह ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत आवेदन दिया था।
आरोप था कि बलिया जनपद के कोटवां नरायनपुर (नरही) निवासी प्रिया राय ने उनके भाई और घोसी के बसपा सांसद अतुल राय के खिलाफ लंका थाने में झूठे तथ्यों के आधार पर रेप समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। प्रिया राय और लक्ष्मणपुर (शिवपुर) निवासी उसका दोस्त सत्यम प्रकाश राय एक साथ मिलकर हनी ट्रैप का कार्य करते हैं।
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प्रिया राय ने वर्ष 2015 में यूपी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अमृतेश सिंह उर्फ सब्बल के विरुद्ध भी छेड़खानी और धमकी देने का झूठा मुकदमा शिवपुर थाने में दर्ज कराया था। जिसमें मोटी रकम वसूलने के बाद वह युवती अपने आरोप से मुकर गई थी। उक्त मुकदमे में उसने अपनी जन्मतिथि 10 मार्च 1997 बताई है और समर्थन में हाईस्कूल अंकपत्र की प्रतिलिपि प्रस्तुत की है, जबकि थाना लंका में दर्ज कराए मुकदमे में उसकी ओर से प्रस्तुत हाईस्कूल अंकपत्र में उसकी जन्मतिथि 10 जून 1997 अंकित है।
सांसद के भाई ने कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया कि विपक्षियों ने नाजायज फायदा उठाने के लिए कूटरचित प्रपत्र के आधार पर अपनी उम्र कहीं कम कहीं ज्यादा अंकित की है। इस मामले में प्रार्थी ने स्थानीय थाने से लेकर एसएसपी तक को प्रार्थना पत्र दिया। लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसने अदालत में अंकपत्रों की छायाप्रतियों के साथ प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई।
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आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के मुताबिक सीओ अमरेश सिंह ने इस मामले की जांच की थी। 8 अगस्त 2020 को 11 पेज की रिपोर्ट उन्होंने दाखिल की। जिसमें बताया गया कि सोनभद्र जेल में बंद सजायाफ्ता मुजरिम अंगद राय और सत्यम राय ने सांसद को फर्जी मामले में फंसाने का प्रयास किया गया।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक अंगद राय ने जेल से ही 13000 बार अलग-अलग लोगों से अलग-अलग फोन पर बात की। इसमें एक पहलू फर्जी रेप में फंसाने का है, दूसरा जेल से फोन के व्यापक इस्तेमाल का है। उन्होंने यूपी के डीजीपी से इस मामले में शीघ्र कार्रवाई कराने का आग्रह भी किया है।