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जेल में बंद बबलू श्रीवास्तव को बड़ी राहत, इस मामले में कोर्ट ने किया दोषमुक्त

Bablu Srivastava

Bablu Srivastava

बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन ओम प्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava) को स्पेशल जज गैंगस्टर एक्ट से बड़ी राहत मिली है। बबलू श्रीवास्तव को कोर्ट ने बरी कर दिया है। बबलू श्रीवास्तव के भांजे संकल्प श्रीवास्तव को भी कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया है। बाकी अन्य आरोपियों को अपहरण कांड में दोषी करार दिया गया है, जिनकी सजा पर 3 बजे बहस होगी। इसके बाद 4 बजे अदालत फैसला सुनाएगी।

जानकारी के अनुसार, बहुचर्चित सर्राफा कारोबारी पंकज महिंद्रा अपहरण कांड में गैंगस्टर कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। प्रयागराज के गैंगस्टर एक्ट के स्पेशल जज विनोद कुमार चौरसिया की अदालत ने इस मामले की सुनवाई की। दरअसल, प्रयागराज के सर्राफा कारोबारी पंकज महिंद्रा के अपहरण मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava) समेत 10 लोग आरोपी बनाए गए थे।

सर्राफा व्यवसायी पंकज महिंद्रा का अपहरण सितंबर 2015 में हुआ था। उस समय बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava) के नाम पर सर्राफा कारोबारी से 10 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी। इस मामले में एसटीएफ ने फतेहपुर के एक फार्म हाउस से पंकज महिंद्रा को बरामद किया था। मौके से पुलिस ने नौ एमएम व 32 बोर की दो पिस्टल, 315 बोर का तमंचा, आल्टो कार, लैपटॉप, मोबाइल, फर्जी सिमकार्ड भी बरामद किए थे।

बरेली जेल में बंद डॉन बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava) को कोर्ट में आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। बाकी 9 आरोपी फैसला सुनाए जाने के समय अदालत में मौजूद रहे। इस मामले में अभियोजन की ओर से 21 गवाहों को पेश किया गया था।

बबलू (Bablu Srivastava) बनना चाहता था आईएएस

बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava) का असली नाम ओम प्रकाश श्रीवास्तव है। वो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का रहने वाला है। जिला मुख्यालय के आम घाट कॉलोनी में उसका परिवार रहता था। बेहद सामान्य परिवार में पैदा हुआ बबलू पढ़ने में तेज था। वो पहले आईएएस अफसर बनना चाहता था, लेकिन बड़े भाई विकास श्रीवास्तव के भारतीय सेना में कर्नल बनने के बाद उसकी ख्वाहिश बदल गई। वो भी वर्दी पहनकर फौजी बनने का सपना देखने लगा।

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आगे की पढ़ाई और तैयारी के लिए लखनऊ पहुंचा। लखनऊ के लॉ कॉलेज में दाखिले के बाद उसने तैयारी शुरू की। साल 1982 में कॉलेज में चुनाव हो रहे थे। उसके एक दोस्त नीरज जैन ने महामंत्री पद के लिए पर्चा दाखिल कर दिया। बबलू भी उसके लिए प्रचार करने लगा। एक दिन विरोधी गुट के साथ झगड़ा हो गया। इसमें एक छात्र को चाकू मार दिया गया। इसके बाद बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava) को कई बार जेल हो गई। यहीं से जरायम की दुनिया में उसके कदम पड़ गए।

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