मनोरंजन डेस्क. बिग बॉस के घर में कंटेस्टेंट बन कर आए पंजाबी मुंडा शहजाद देओल घर से बाहर हो गये हैं. शो में अब तक उनकी परफॉरमेंस काफी अच्छी रही थी. लेकिन घर के अन्य सदस्यों के द्वारा उन्हें घर से बेघर होना पड़ गया जिसका शहजाद को भी काफी अफ़सोस है. शहजाद का मानना है कि अगर उन्हें जनता के हवाले किया गया होता तो शायद वह अब भी घर में ही होते. इसी के साथ उन्होंने ‘बिग बॉस’ के निर्माताओं को भी एक काम की सलाह दे डाली.
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शहजाद ने अमर उजाला को बताया कि उनकी बागडोर घरवालों के हाथ में थी। अगर जनता के हाथ में होती तो शायद वह बच जाते! शहजाद ने कहा, ‘घरवालों से भी ज्यादा मुझे दिक्कत अपने सीनियर्स से हुई। घरवालों से मुझे बहुत कम वोट मिले थे लेकिन जब सीनियर्स की बारी आई तो वह सब मेरे विपक्ष में ही निकले। घरवालों की तरफ से तो मुझे सिर्फ दो ही वोट मिले। बाकी सबको चार चार थे। फिर बाकी बचे तीन सीनियर्स, तो उन्होंने सिर्फ मुझे ही बाहर जाने का रास्ता दिखाया। मुझे अच्छा लगता कि अगर मुझे जनता बाहर करती।’
शहजाद का कहना है कि बिग बॉस के जो भी नियम हैं, उनके खिलाफ आखिर कौन जा सकता है? अब तक जनता की तरफ से वोटिंग शुरू हो जानी चाहिए थी लेकिन हुई ही नहीं। उन्होंने कहा, ‘शो के खिलाफ तो मैं कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन मुझे उनके इस कदम से निराशा हुई है। मेरे सीनियर्स को मैं उसी हफ्ते में थोड़ा ठंडा लगा। जिन लोगों के मुकाबले में ठंडा था, वह लोग तो नामांकन में थे ही नहीं। अगर वह लोग नामांकन में आते और अगर आज भी जनता की तरफ से वोटिंग कराई जाए तो मुझे पक्का यकीन है कि मैं बाहर नहीं जाऊंगा।’
घर के अंदर शहजाद को गायब का ही टैग मिल गया था इस वजह से घर की काफी चीजों में वह अपना योगदान नहीं दे पाए। शहजाद का कहना है, ‘जब मैं कुछ करूंगा ही नहीं तो जाहिर है कि ठंडा तो मैं दिखूंगा ही। बिग बॉस को जो बनाने वाले हैं, उनके हाथ में हर एक खिलाड़ी की बागडोर है। वह जो चाहते हैं, वही करते हैं। और वही सब कुछ कर सकते हैं। उनके खिलाफ न तो कोई जा सकता है और न ही कुछ बोल सकता है। लेकिन, मैं ‘बिग बॉस’ से इतना जरूर कहना चाहूंगा कि अगली बार से जो भी प्रतियोगी बाहर होता है तो वह सिर्फ जनता के मतों के आधार पर ही बाहर हो।’
बिग बॉस के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि शुरुआत से ही सीनियर फ्रेशर्स के साथ में जुड़े हों। शहजाद का मानना है कि यह विचार जरूर नया है लेकिन इससे कहीं न कहीं कई लोग ऐसे हैं जिनका व्यक्तित्व अब तक सामने नहीं आ पाया है। उन्होंने कहा, ‘फ्रेशर्स ने सीनियर्स को ही अपने पक्ष में करने की कोशिश की है जिससे कि वह नामांकन और घर से बाहर होने से बच सकें। इससे वह अपने अंदर के व्यक्तित्व को नहीं दिखा पाए। सीनियर्स से खिलाफ मैं कुछ कहना नहीं चाहता। बस एक सिद्धार्थ शुक्ला ही हैं जिन्होंने खुद भी शो में कहा कि वह निक्की तंबोली के थोड़ा पक्ष में रहे। इसके अलावा बाकी किसी में ऐसा कुछ दिखा नहीं।’
शहजाद का मानना है कि शो में शुरुआत से ही सीनियर्स के जुड़ने से बाकी लोग खुल ही नहीं पाए। उन्होंने कहा, ‘मैं पहले हफ्ते से जैसा था, वैसा ही रहा और इसी वजह से सिद्धार्थ के साथ मेरा एक झगड़ा भी हो गया। झगड़ा भले ही हुआ लेकिन सिद्धार्थ की तारीफ मैं एक बात के लिए जरुर कहना चाहूंगा कि वह झगड़े की बात को आगे तक नहीं ले जाते। झगड़ा जैसे ही होता है, वह चीजों को वहीं पर खत्म कर देते हैं। हमारे बीच हुए झगड़े के बाद कोई मनमुटाव नहीं रहा। हम दोनों के संबंध काफी अच्छे ही रहे।’
शहजाद का कहना है कि घर के सभी नए सदस्य इस जुगाड़ में ही लग गए कि अगर वह सीनियर्स को अपने पक्ष में कर लेते हैं तो इससे वह शो में आगे तक चल सकेंगे। उन्होंने कहा, ‘लेकिन, चापलूसी करना मुझे आता नहीं है। जब सिद्धार्थ से मेरा झगड़ा हो गया, उसके बाद मेरी उनसे बातचीत बहुत कम हो गई। वह भी मुझसे बात नहीं करते थे और मैं भी नहीं। इसके बाद मेरी बातचीत है हिना और गौहर से ज्यादा होती थी। हालांकि मैंने कभी चापलूसी करने की कोशिश नहीं की।’
सोशल मीडिया पर काफी लोग शहजाद का समर्थन कर रहे हैं। घर से बाहर निकलते ही शहजाद ने सबसे पहले अपने माता-पिता को याद किया। शहजाद ने बताया कि वह उनसे प्रतिक्रिया लेना चाहता थे कि आखिर उनका सफर बिग बॉस के घर में कैसा रहा? वह बताते हैं, ‘मेरे माता पिता ने मुझसे कहा कि उनके पास पाकिस्तान, कनाडा, यूके और पंजाब से बहुत ज्यादा लोगों के संदेश आ रहे थे। मुझे जनता भारी मात्रा में समर्थन दे रही थी, फिर भी मैं बाहर कैसे आ गया? उन्हें इस बात की खुशी है कि बिग बॉस के घर में रहकर मैं सब्जी काटना, बर्तन धोना सीख गया। जबकि, मैंने अपने घर पर कभी अपने टिफिन बॉक्स को भी उठा कर नहीं रखा।’