Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

Bihar Chunav 2020: CM नितीश को तेजस्वी और चिराग की गुगली नहीं आ रही है समझ

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को बिहार के दो युवा नेता चिराग पासवान और तेजस्वी यादव की गूगली समझ में नहीं आ रही है। विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार को बिहार के लिए दो युवा कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि आखिर सीएम नीतीश कुमार इन दोनों युवाओं की गुगली को कैसे खेलते हैं।

यह भी पढ़ें:- को-ऑपरेटिव बैंक में हुई नियुक्तियों की होगी जांच, CM योगी ने दिये दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के 

नीतीश कुमार में एक गुण है जिसके लिए उनके विरोधी भी उनकी प्रशंसा करते हैं। वह शायद ही कभी व्यक्तिगत होते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। पिछले तीन दिनों के दौरान, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और उनके परिवार पर चुनावी रैलियों में खुले तौर पर निशाना साधा। उन्होंने बुधवार को सारण के परसा में तेजप्रताप यादव (Tej pratap Yadav) की पत्नी ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) का मुद्दा उस समय उठाया जब वो उनके पिता चंद्रिका राय (Chandrika Rai) के लिए प्रचार करने पहुंचे थे। इस रैली में लालू यादव जिंदाबाद के नारे लगे तो आमतौर पर शांत रहने वाले नीतीश नाराज हो गए। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे राबड़ी देवी और उनके परिवार ने ऐश्वर्या के साथ दुर्व्यवहार किया, जिसकी वजह से उन्होंने तलाक के लिए याचिका दायर की है। मुजफ्फरपुर में अगले दिन चुनावी सभा के दौरान पति-पत्नी की सरकार कह के नीतीश ने 1997 की घटना का जिक्र किया जब लालू यादव को चारा घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था और राबड़ी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।

लालू-राबड़ी राज का जिक्र क्यों कर रहे नीतीश?

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री सातवें कार्यकाल के लिए रण में हैं और इस बात की पूरी संभावना है कि विधानसभा चुनाव 2020 उनका आखिरी शॉट हो सकता है। इसलिए, वह इसमें कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। लेकिन यह उतना आसान नहीं है जितना चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले साफ तौर से नजर आ रहा था। सवाल उठ रहा है कि नीतीश पिछले 15 सालों से प्रदेश की कमान संभालने के बाद सूबे के राजनीतिक अतीत की खुदाई क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब उनके सहयोगी बीजेपी के साथ चिराग पासवान के एक तरफा प्रेम संबंध में है और तेजस्वी यादव जिस तरह से उनके शासन पर बड़े पैमाने पर हमले कर रहे हैं और बेरोजगारी के मुद्दे को उठा रहे हैं लेकिन अपने भाषणों में नरेंद्र मोदी की बड़ी चतुराई से अनदेखी कर रहे हैं।

इन आंकड़ों की वजह से बेचैन हैं जेडीयू अध्यक्ष

पिछले दो विधानसभा चुनावों के वोट शेयर के आंकड़ों से नीतीश की बेचैनी को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी, जो उन्होंने अपने दुश्मन से दोस्त बने लालू प्रसाद यादव के साथ लड़ी थी। पिछले चुनाव में जेडीयू और आरजेडी को क्रमश: 16.8 और 18 फीसदी वोट मिले थे। महागठबंधन की तीसरी सहयोगी कांग्रेस को लगभग 7 फीसदी वोट मिले। दूसरी तरफ बीजेपी के हिस्से सबसे ज्यादा वोट शेयर 24.4 फीसदी आया था और उसकी सहयोगी एलजेपी को लगभग 5 फीसदी वोट मिले थे। लगभग 10 फीसदी वोटों के अंतर से महागठबंधन एनडीए से आगे निकल गए। हालांकि, लालू और तेजस्वी का दावा है कि नीतीश की पार्टी को पिछले चुनाव में 70 सीटें मिलीं, क्योंकि आरजेडी के मतदाताओं ने उन्हें वोट दिया। यह थ्योरी इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि बीजेपी के साथ 17 साल का गठबंधन खत्म करने के बाद, नीतीश कुमार की पार्टी 2014 की मोदी लहर में केवल दो लोकसभा सीटें जीत सकी थी, जो कि विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले हुए थे। जेडीयू को उस समय लगभग 15 फीसदी वोट मिले थे, जब नीतीश कुमार बिहार में सुशान बाबू के उपनाम से चर्चा में थे। हालांकि, 2010 के विधानसभा चुनावों में उनकी लोकप्रियता चरम पर थी, जब जेडीयू को 22 फीसदी सबसे बड़ा वोट शेयर हासिल हुआ, जो उसके बाद भी जारी रहा।

Exit mobile version