हाल ही में निकले यूपीएससी रिजल्ट में बिहारी छात्रों का जलवा रहा है। पहली रैंक के साथ ही टॉप टेन में भी तीन छात्र बिहार के रहे। इसके उलट राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (एनटीएसई) में बिहारी मेधा पिछड़ जा रही है। छात्रवृत्ति की मुख्य परीक्षा में ज्यादातर असफल हो जाते हैं।
पिछले पांच वर्षों में बिहार से सिर्फ 84 मेधावियों का ही चयन छात्रवृत्ति के लिए हो पाया, जबकि इस अवधि में करीब एक लाख विद्यार्थी प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए। इस एक लाख में से करीब चार हजार ही मुख्य परीक्षा में पहुंच पाए।
मुख्य परीक्षा में सफल 84 में 54 विद्यार्थी निजी स्कूल के हैं और बाकी 30 सरकारी स्कूल के। यह हाल तब है जबकि प्रारंभिक परीक्षा के लिए बिहार का कोटा 691 विद्यार्थियों का है। बावजूद वर्ष 2019 तक बिहार का कोटा भी पूरा नहीं हो पाता था। हालांकि पिछले दो साल यानी 2020 और 2021 की प्रारंभिक परीक्षा में बिहार के कोटे से अधिक छात्र सफल हो पाए हैं। वर्ष 2020 में 736 और 2021 में 734 छात्र सफल हुए। एनटीएसई में दसवीं में पढ़ने वाले छात्र शामिल होते हैं।
प्रारंभिक परीक्षा नवंबर में और मुख्य परीक्षा जून में होती है। प्रारंभिक परीक्षा राज्य के एससीईआरटी द्वारा ली जाती है। मुख्य परीक्षा एनसीईआरटी द्वारा ली जाती है। मुख्य परीक्षा में सफल छात्र को एनसीईआरटी छात्रवृत्ति देती है। जब छात्र 11वीं में नामांकन लेता है तो यह छात्रवृत्ति मिलनी शुरू हो जाती है।
यूपीएससी में बिहार का हमेशा से रहा दबदबा
यूपीएससी के रिजल्ट में बिहार का हमेशा से दबदबा रहा है। पिछले 20 वर्षों में आईएएस कैडर में 3679 अधिकारियों ने ज्वाइन किया, जिनमें 222 बिहारी हैं। इतना ही नहीं 23 वर्षों में कई छात्र यूपीएसई में टॉपर भी रहे हैं। 1997 में बिहार के आमिर सुबहानी तो 2001 में आलोक झा टॉपर कर चुके हैं। वहीं, इस वर्ष बिहार के ही शुभम कुमार ने टॉप किया है।
उत्तराखंड में कांस्टेबल भर्ती को मिली हरी झंडी, इतने पदों पर होगा चयन
इंजीनियरिंग में भी अव्वल
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी बिहार के छात्र का जलवा रहता है। जेईई एडवांस में भी अच्छे रैंक तक पहुंचते हैं। 2020 की बात करें तो ढाई लाख छात्र जेईई एडवांस में शामिल हुए। इनमें आठ हजार के लगभग बिहार से छात्र थे। इनमें एक हजार के लगभग छात्रों को अच्छी रैंक मिली थी। हर साल यह स्थिति रहती है।
मेघावी छात्रों को 11वीं से पीएचडी तक मिलती है छात्रवृत्ति
सफल विद्यार्थियों को 11वीं से पीएचडी तक छात्रवृत्ति मिलती है। एनसीईआरटी द्वारा 2019 से छात्रवृत्ति की राशि बढ़ायी गयी है। पहले हर महीने 500 रुपये मिलते थे। अब हर माह एक हजार की राशि दी जाती है। इस तरह 11वीं और 12वीं में 12 हजार सालाना छात्रों को दी जाती है। वहीं, स्नातक, पीजी और पीएचडी में यूजीसी के नियमानुसार छात्रवृत्ति दी जाती है।
इन कारणों से छात्रवृत्ति परीक्षा में पिछड़ रहे छात्र
- विषयवार कंटेंट प्रतियोगी परीक्षा की तरह नहीं रखा जाता है
- कक्षा में तार्किक क्षमता या अप्लीकेशन बेस्ड पढ़ाई नहीं हो पाती है
- परीक्षा प्रणाली के माध्यम से छात्रों को प्रतियोगी नहीं बनाया जाता है
- कक्षा में शिक्षक केवल कोर्स की पढ़ाई तक ही सीमित रहते हैं
स्कूल की पढ़ाई उस स्तर की नहीं होती है। एनटीएसई में तार्किक क्षमता वाले प्रश्न पूछे जाते हैं। चूंकि स्कूल स्तर पर बच्चों की उस तरह से पढ़ाई नहीं करवायी जाती है, इस कारण छात्र पिछड़ जाते हैं।
– शंकर कुमार, शिक्षा विशेषज्ञ
स्कूल स्तर पर ध्यान देना होगा : राजमणि
सिविल सर्विसेज, मेडिकल, इंजीनियरिंग की परीक्षा में टॉप रैंक प्राप्त करने वाले बिहार के छात्रों के छात्रवृत्ति परीक्षा में पिछड़ने के कई कारण हैं। बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष राजमणि प्रसाद कहते हैं कि एनटीएसई की तैयारी स्कूल स्तर पर होती है, जबकि सिविल सर्विसेज आदि की तैयारी स्नातक के बाद। उस समय छात्र तैयारी करने में सक्षम होते हैं। एनटीएसई की तैयारी में स्कूल स्तर पर विशेष ध्यान देना होगा।