उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिकरू कांड को लेकर गठित एसआईटी ने योगी आदित्यनाथ सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इस मामले में 9 बिंदुओं को लेकर एसआईटी द्वारा की गई जांच रिपोर्ट लगभग साढ़े तीन हजार पन्नों की है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इसमें 80 के लगभग वरिष्ठ और जूनियर अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शामिल है। जबकि एसआईटी ने 30 के खिलाफ प्रशासनिक सुधार की संस्तुति की है जिसमें पुलिस, प्रशासनिक और अन्य विभाग के अधिकारियों की अंतरलिप्ता मुख्य आधार रहा है।
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बिकरू कांड को लेकर गठित एसआईटी ने 100 से ज्यादा गवाहों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। इस मामले में 12 जुलाई को एसआईटी ने अपनी जांच शुरू की थी, जिसे 16 अक्टूबर को पूरा किया है। एसआईटी ने मुख्य रूप से अपनी 9 बिंदुओं पर हो रही जांच को आधार बना कर रिपोर्ट तैयार की है। हालांकि जांच एजेंसी को 31 जुलाई, 2020 को अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपनी थी, लेकिन गवाहियों का आधार बढ़ने के कारण रिपोर्ट को 16 अक्टूबर को पूरा किया जा सका।
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एसआईटी के हेड संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित टीम ने अपनी रिपोर्ट पिछले हफ्ते शासन को सौंप दी है। इसमें अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और पुलिस उप महानिरीक्षक जे रवींद्र गौड़ को सदस्य बनाया गया है।
क्या है पूरा मामला
कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र में 3 जुलाई की रात जो कुछ हुआ उसने पुलिस महकमे की चूलें हिलाकर रख दी। गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर उसे गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस की टीम पर अंधाधुंध फायरिंग कर एक सीओ समेत आठ पुलिसवालों को मौत के घाट उतार दिया। इस घटना से पहले विकास दुबे को शायद ही लोग जानते थे। सूबे के अन्य गैंगस्टर की तरह उसका साम्राज्य पूरे प्रदेश में नहीं, बल्कि कानपुर और कानपुर देहात तक ही सिमित था। खासकर कानपुर देहात में उसका सिक्का चलता था। इतना ही नहीं गांव वालों के मुताबिक, इलाके के लोग भी न्याय के लिए कानून से ज्यादा विकास पर भरोसा करते थे। सरकार को हिला देने वाली इस घटना के बाद से पुलिस ने इस केस में 21 नामजद आरोपियों में विकास दुबे सहित छह को एनकाउंटर में ढेर कर दिया है।