कानपुर के चर्चित बिकरू कांड के मुख्यारोपी कुख्यात विकास दुबे के करीबी रहे सुशील कुमार तिवारी की गुरुवार को जमानत खारिज कर दी गई। एंटी डकैती कोर्ट में उसके जमानती प्रार्थना पत्र में सुनवाई हुई।
अभियोजन ने जघन्य हत्याकांड में उस पर गंभीर आरोप होने की वजह से जमानत दिए जाने का विरोध किया। वहीं बचाव पक्ष कोई मजबूत दलील नहीं रख सका।
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सुशील को मुंबई में एटीएस ने गिरफ्तार किया था। चौबेपुर कस्बे के बिकरू गांव में दो जुलाई को कुख्यात विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर फायरिंग गई थी। सीओ समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। इस मामले में विकास के साथी कुढ़वा शिवली के गुड्डन त्रिवेदी उर्फ अरविंद व उसके चालक गांव के सुशील कुमार तिवारी उर्फ सोनू घटना के बाद से फरार थे।
दोनों को एटीएस ने मुंबई से गिरफ्तार किया था। दोनों जेल में हैं। गुरुवार को सुशील के जमानती प्रार्थना पत्र की एंटी डकैती रामकिशोर की कोर्ट में सुनवाई हुई। बचाव के पक्ष के अधिवक्ता अरविंद राठौर ने दलील दी कि सुशील के गुड्डन और विकास से कोई संबंध नहीं रहे हैं। पुलिस ने गलत तरीके से फंसा दिया है।
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कहा कि न तो उसने घटना से लेकर षड्यंत्र किया और न ही कोई आरोपियों की मदद की। वहीं अभियोजन पक्ष से सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रशांत कुमार मिश्रा ने कहा कि सुशील गुड्डन का करीबी है। उसके चालक के रुप में साथ रहता था। दोनों ने मिलकर विकास दूबे को कारतूस व असलहे पहुंचाए थे।
वहीं, जघन्य हत्याकांड में सुशील का अपराध जमानत योग्य नहीं है। इसी आरोप में विनय तिवारी, शिवम दुबे, रेखा अग्निहोत्री की जमानत पहले ही निरस्त हो चुकी है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुशील की जमानत खारिज कर दी। वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता अरविंद राठौर ने हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही।