पूर्वजन्म या इस जन्म में जाने अनजाने में सर्पहत्या या सर्प के प्रति किये गए अपराध के कारण संतान की प्राप्ति नहीं होती है। सर्प दोष (Sarp Dosh) की पहचान के लिए अपनी जन्म पत्रिका में यदि निम्न योग का निर्माण हो रहा तो समझना चाहिए के सर्प दोष (sarp dosh) के कारण संतान नहीं हो रही है।
1. पंचम में स्थित राहु को मंगल पूर्ण दृष्टि से देखे अथवा राहु मेष या वृश्चिक राशि में हों।
2. पंचमेश राहु के साथ कहीं भी हो तथा पंचम में शनि हो और शनि, मंगल को चंद्रमा देखे।
3. संतानकारक अर्थात पंचम कारक गुरू राहु के साथ हो और पंचमेश निर्बल हों तथा लग्नेश व मंगल साथ-साथ हों।
4. गुरू व मंगल एक साथ हों, लग्न में राहु हो तथा पंचमेश 6, 8, 12 में हो तो सर्प शाप के योग हैं।
5. पंचम स्थान में मिथुन, कन्या राशि हो, मंगल अपने ही नवांश में हो, लग्न में राहु व गुलिक हो।
6. पंचम में मेष, वृश्चिक राशि हो, पंचमेश मंगल, राहु के साथ हों या पंचमेश मंगल से बुध की दृष्टि हो।
7. पंचम में सूर्य, मंगल, शनि या राहु, बुध, गुरू एकत्र हों और लग्नेश व पंचमेश निर्बल हों।
8. लग्नेश व राहु एक साथ हों, पंचमेश व मंगल भी एक साथ हों तथा गुरू राहु भी एक साथ हों। उपरोक्त योगों के कारण संतान नहीं होती या जीवित नहीं रहती।
क्या करें – उपरोक्त दोष के निवारण हेतु नाग पूजा परंपरानुसार करें। नागराज की मूर्ति की प्रतिष्ठा करें अथवा सोने की नाग मूर्ति बनवाकर प्रतिदिन पूजा करें। तत्पश्चात, गोदान, भूमिदान, तिलदान, सुवर्ण दान अपनी सामथ्र्य के अनुसार करें। ऐसा करें से सर्प दोष का प्रभाव क्षीण हो जाता है और संतान की प्राप्ति होती है। सर्प दोष के निवारण के लिए प्रतिदिन करें इस मंत्र का जप
नमोऽस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवी मनु ये अंतरिक्षे ये देवि तेभ्य: सर्पेभ्यों नम:।