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भाजपा सरकार पर नहीं ले रही बाढ़ पीड़ितों की सुध, तटबंधों-छतों पर दिन गुजार रहे लोग

लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर बाढ़ से घिरे लोगों की सुध न लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि कई जिले बाढ़ग्रस्त हैं, लोग तटबंधों पर या छतों पर दिन गुजार रहे हैं।

श्री यादव ने सोमवार को यहां जारी बयान में कहा कि कई जिलों में नदियों का उफान खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। सड़के, पुल क्षतिग्रस्त हैं। सरकार जनता की कोई सुध नही ले रही है। लोग तटबंधों पर या छतों पर दिन गुजार रहे हैं। सरकार को प्राकृतिक आपदा से किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा देने का समय नहीं है। भाजपा सरकार राज्य की परेशान हाल जनता की खोज खब़र नहीं ले रही है।

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उन्होंने कहा कि बाराबंकी, अयोध्या, कुशीनगर, गोरखपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी, आजमगढ़, मऊ, बस्ती, गोंडा, संतकबीरनगर, सीतापुर, सिद्धार्थनगर और बलरामपुर में बाढ़ से हजारों गांवों की लाखों जनसंख्या प्रभावित हैं। सैकड़ों गांवों का सम्पर्क बाकी इलाकों से टूट गया है। हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें जलमग्न हो गई हैं।

श्री यादव ने कहा कि लखीमपुर खीरी के पलिया कलाॅ में शारदा, बलिया के तूतीपार क्षेत्र में सरयू, गोरखपुर के बर्डघाट एवं श्रावस्ती के राप्ती बैराज में राप्ती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नेपाल व बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद गंगा, घाघरा नदियां उफान पर है। इनके तटबंधों को खतरा उत्पन्न हो गया है। बाढ़ की भयावह स्थिति और तटबंध टूटने की आशंका से ग्रामीणों में दहशत है। रोहिनी नदी, कुवानों, गंडक, कुनहरा नदियां भी खतरे के निशान के नजदीक बह रही है।

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उन्होंने कहा कि बाढ़ की वजह से हजारों मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बड़ी संख्या में लोग अपने बचाव में पास की सड़कों पर या अपने मकानों की छतों पर शरण लिए हुए हैं। पशुओं के चारे के साथ उनको बचाने की भी समस्या हैं। स्थानीय प्रशासन उन्हें राहत पहुंचाने में लापरवाह है। बाराबंकी में सरयू खतरे के निशान से 108 से.मी. ऊपर पहुंच गई है जिससे तीन तहसीलों रामनगर, सिरौली गौसपुर और रामसेनही घाट में हाहाकार मचा हुआ है। मवेशी भूखे हैं उनके लिए चारा नहीं है। सीतापुर में दो बच्चे बाढ़ के पानी में डूब गए।

श्री यादव ने कहा कि झांसी मण्डल में किसानों को गेहूं की उपज का करोड़ों रूपये बकाया है। बदायूं समेत कई जिलों में किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है। बुन्देलखण्ड में खेती चैपट हो रही है, सरकार का उधर ध्यान नहीं है। गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ रूपये का भुगतान अभी भी नहीं हो पाया है। मिल मालिकों पर सरकार का कोई जोर नहीं है। वैसे भी भाजपा किसानों के हितों की अनदेखी करती रही है। वह तो बस कारपोरेट घरानों से ही खास नाता रिश्ता रखती है। भाजपा ने किसानों के साथ धोखाधड़ी की है। 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी करना भाजपा का सबसे बड़ा झांसा है। भाजपा को इसका जवाब भी 2022 में मिल जायेगा।

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